खेती में नया ट्रेंड: गन्ना-गेहूं छोड़ स्ट्रॉबेरी की खेती से मालामाल हो रहे किसान

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खेती में तकनीक और नई सोच अपनाने से किसान और खेतिहर मजदूर अब बड़ी आमदनी कर रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में देखने को मिल रहा है, जहां पारंपरिक गन्ना और गेहूं की खेती छोड़कर किसान स्ट्रॉबेरी जैसी महंगी और लाभदायक फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। मोरना और शुक्रताल क्षेत्र के किसान इस बदलाव से उम्मीदों की नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं।

स्ट्रॉबेरी से बढ़ती उम्मीदें

भोपा गांव के किसान गोपाल सैनी ने खेती में इस नई राह को चुना है। कम शिक्षित होने के बावजूद गोपाल ने आत्मविश्वास और नवाचार के दम पर अपनी किस्मत बदली है। उन्होंने गंगनहर पुल के पास कई बीघा जमीन ठेके पर ली और महंगी फसलों की खेती शुरू की। इस बार उन्होंने शिमला से 14,000 स्ट्रॉबेरी के पौधे लाकर सितंबर महीने में अपनी दो बीघा जमीन में लगाए। फरवरी और मार्च तक फसल तैयार होने की उम्मीद है।

गोपाल का कहना है कि उनकी स्ट्रॉबेरी की गुणवत्ता क्षेत्र में बिकने वाली अन्य स्ट्रॉबेरी से बेहतर है, जिससे मुजफ्फरनगर मंडी के व्यापारी उनके खेतों पर आकर माल खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं।

स्ट्रॉबेरी की खेती का तरीका

गोपाल ने स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाई है:

  1. पंक्तियों में दूरी: दो मेढ़ों के बीच ढाई फीट और पौधों के बीच 14 इंच की दूरी रखी गई है।
  2. पॉलीथिन का उपयोग: फलों को गलने और कीटों से बचाने के लिए खेत में पॉलीथिन का उपयोग किया गया है।
  3. कीटनाशकों से बचाव: स्ट्रॉबेरी पर किसी प्रकार के हानिकारक रसायन या कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया गया।
  4. उत्पादन का अनुमान: प्रत्येक पौधे से 400-500 ग्राम तक स्ट्रॉबेरी का उत्पादन होने की उम्मीद है।

गोपाल ने बताया कि अगर बाजार में मांग और बढ़ती है तो अगले साल वे चार एकड़ भूमि में स्ट्रॉबेरी उगाने की योजना बना रहे हैं।

चुनौतियां और समाधान

स्ट्रॉबेरी की खेती में कई चुनौतियां भी हैं। लाल और आकर्षक फल होने के कारण नीलगाय, गीदड़, खरगोश और पक्षी फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके लिए गोपाल और उनके बेटे योगेश को 24 घंटे खेत की रखवाली करनी पड़ती है।

गोपाल का मानना है कि अगर क्षेत्र के अन्य किसान भी पारंपरिक खेती से हटकर इस तरह की फसलें अपनाएं तो उनकी आमदनी में कई गुना वृद्धि हो सकती है।

स्ट्रॉबेरी की बढ़ती लोकप्रियता

  • स्ट्रॉबेरी की बढ़ती मांग को देखते हुए मंडियों से व्यापारी खेतों पर ही सौदे करने पहुंच रहे हैं।
  • उगाई गई स्ट्रॉबेरी की गुणवत्ता बेहतर होने से यह न सिर्फ स्थानीय बाजार में बल्कि अन्य स्थानों पर भी अच्छी कीमत पर बिक सकती है।

कृषि में नवाचार का संदेश

गोपाल सैनी और अन्य किसानों की यह पहल यह दिखाती है कि पारंपरिक फसलों से हटकर महंगी और आधुनिक फसलों की खेती से बेहतर मुनाफा कमाया जा सकता है। नई तकनीक और सोच को अपनाने से किसानों को न केवल आर्थिक लाभ होगा, बल्कि क्षेत्र में कृषि की एक नई दिशा भी स्थापित होगी।