पंजाब में नई सियासी हलचल: अमृतपाल सिंह ने ‘शिरोमणि अकाली दल आनंदपुर साहिब’ की घोषणा की

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डिब्रूगढ़ जेल में बंद खालिस्तानी समर्थक और खडूर साहिब से निर्दलीय सांसद अमृतपाल सिंह ने फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सरबजीत सिंह खालसा के साथ मिलकर नई पार्टी ‘शिरोमणि अकाली दल आनंदपुर साहिब’ बनाने की घोषणा की है। इस नई पार्टी के गठन से पंजाब की राजनीति में खलबली मच गई है। औपचारिक घोषणा 14 जनवरी को मुक्तसर में माघी मेले के दौरान होने वाली ‘पंथ बचाओ-पंजाब बचाओ कॉन्फ्रेंस’ में की जाएगी।

सुखबीर बादल का कड़ा पलटवार

शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने नई पार्टी की घोषणा पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अमृतपाल सिंह का नाम लिए बिना कटाक्ष करते हुए कहा, “प्रकाश सिंह बादल ने 16 साल जेल काटी, लेकिन यहां लोग एक साल में ही घबराने लगे हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि अकाली दल को कमजोर करने की साजिश रची जा रही है।

सुखबीर ने फरीदकोट सांसद सरबजीत सिंह खालसा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे कभी सिख समुदाय के अधिकारों की बात नहीं करते और न ही लोगों के सुख-दुख में शामिल होते हैं। उन्होंने नई पार्टी के गठन को “अकाली दल को कमजोर करने का प्रयास” बताया और कहा कि उनका दल हमेशा श्री अकाल तख्त साहिब को सुप्रीम मानता है, जबकि ये लोग अपने अलग जत्थेदार बना रहे हैं।

“शिअद खत्म नहीं हुआ, बल्कि जाग चुका है”

माघी मेले की सियासी कांफ्रेंस की तैयारियों के दौरान सुखबीर बादल ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल गुरु घर की सेवा करने वाली पार्टी है और उस पर लगाए गए बेअदबी जैसे आरोप साजिश का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा, “शिअद कभी खत्म नहीं होगा। यह पहले आराम कर रहा था, लेकिन अब पूरी तरह जाग चुका है।”

अमृतपाल गुट की नई पार्टी का उद्देश्य

सरबजीत सिंह खालसा ने नई पार्टी के गठन को पंजाब को बचाने की राजनीतिक जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि ‘शिरोमणि अकाली दल आनंदपुर साहिब’ का उद्देश्य पंजाब के लोगों को एक नया विकल्प देना है। यह पार्टी पंथक सोच और अच्छे चरित्र वाले लोगों को साथ लेकर राज्य के अधिकारों और हितों के लिए संघर्ष करेगी।

पंजाब की राजनीति में बढ़ी हलचल

अमृतपाल सिंह और उनके गुट की नई पार्टी की घोषणा के बाद पंजाब की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है। सियासी जानकार इसे पंजाब की राजनीति में नए समीकरण का संकेत मान रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि माघी मेले में इस नई पार्टी की औपचारिक घोषणा के बाद यह किस हद तक पंजाब की राजनीति को प्रभावित करती है।