हिमाचल प्रदेश के नौ विधानसभा क्षेत्रों में उभरे नए सियासी समीकरण

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शिमला, 23 मार्च (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में अयोग्य घोषित कांग्रेस के नौ बागियों और तीन निर्दलीय विधायकों के भाजपा के पाले में जाने से नौ विधानसभा क्षेत्रों में नए राजनीतिक समीकरण उभरे हैं। कांग्रेस के छह बागी और तीन निर्दलीय विधायकों ने शनिवार को नई दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। प्रदेश में 15 माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराकर सतासीन हुई कांग्रेस पार्टी के लिए निश्चित तौर पर यह बड़ा झटका है।

कांग्रेस के बागियों समेत तीन निर्दलीयों को अपने पाले में लाकर भाजपा ने कांग्रेस की सुक्खू सरकार को बैकफुट पर ला दिया है। अब भाजपा की नजर नौ विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनाव में सभी सीटों पर जीत हासिल करने की है। जबकि कांग्रेस महज एक सीट से बहुमत का आंकड़ा छू लेगी।

कांग्रेस के बागियों को टिकट देने से स्थानीय भाजपा नेताओं में पनप सकता है असंतोष

प्रदेश में नौ पूर्व विधायकों के पाला बदलने से भले ही वर्तमान समय में कांग्रेस को बड़ा नुकसान होता दिखाई दे रहा है, लेकिन आने वाले समय में भाजपा में भी एक बड़ी समस्या खड़े होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है। सियासी जानकारों की मानें तो भाजपा, कांग्रेस के छह बागी विधायकों व तीन निर्दलीयों को अपने पार्टी में शामिल कर भले ही अपना कुनबा बढ़ा रही हो. लेकिन आने वाले समय में पार्टी के पुराने नेताओं के बीच असंतोष उत्पन्न हो जाएगा, जो पार्टी के लिए खतरनाक होगा। विधानसभा में बहुमत के जादुई 35 आंकड़े तक पहुंचने के लिए 25 विधायकों वाली विपक्षी भाजपा लगातार अपने कुनबे को बढ़ाने की कवायद में लगी है।

विधानसभा की नौ सीटों पर होने वाले उपचुनाव सतारूढ़ कांग्रेस की सुक्खू सरकार के साथ विपक्ष में बैठी भाजपा के लिए भी चुनौतीपूर्ण रहने वाले हैं। यह तय माना जा रहा है कि विधानसभा सदस्यता छोड़ने वाले तीन निर्दलीय विधायकों हमीरपुर से आशीष शर्मा, देहरा से होशियार सिंह और नालागढ़ से केएल ठाकुर को भाजपा विधानसभा उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाएगी। लेकिन कांग्रेस के छह बागी विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार चयन भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा।

कुटलैहड़ सीट से पूर्व मंत्री व भाजपा के कदावर नेता विरेंद्र कंवर और लाहौल-स्पीति से पूर्व मंत्री रामलाल मारकंडा पिछला विस चुनाव हार चुके हैं। अब पहली जून को होने वाले उपचुनाव में इनकी जगह कांग्रेस के बागियों को टिकट देने से पार्टी के स्थानीय नेताओं में असंतोष पनपना संभव है। अन्य चार हल्कों में भी कमोबेश यही स्थिति देखने को मिल सकती है। चुनाव आयोग कांग्रेस के छह बागियों के निर्वाचन क्षेत्रों में पहली जून को उपुचनाव घोषित कर चुका है। भाजपा का अगला कदम इन छह सीटों पर टिकटें तय करना है, जिस पर सबकी नजरें रहेगी। अगर कांग्रेस के छह बागियों को भाजपा उपचुनाव में उतारती है, तो टिकट कटने से नाराज भाजपा नेता भी बगावत कर सकते हैं।

दूसरी तरफ सताधारी कांग्रेस भी रिक्त हुई विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार चयन करने में जुट गई है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री सुक्खू अपने करीबियों को उपचुनाव में उतार सकते हैं।