उत्तर प्रदेश में विकास की नई उड़ान: 63 गांवों की जमीन पर 4 गुना कीमत पर होगा 115 किलोमीटर लंबा जालौन-झांसी लिंक एक्सप्रेसवे का निर्माण
उत्तर प्रदेश सरकार ने बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। जल्द ही जालौन से झांसी के एरच तक बनने वाले 115 किलोमीटर लंबे लिंक एक्सप्रेसवे का निर्माण शुरू होगा, जो नोएडा-झांसी मॉडल की तर्ज पर विकसित होने वाले औद्योगिक शहर से कनेक्टिविटी बढ़ाएगा। खास बात यह है कि इस प्रोजेक्ट के लिए 63 गांवों की जमीन अधिग्रहण की जाएगी और सरकार किसानों को बाजार मूल्य से चार गुना अधिक मुआवजा देने जा रही है।
यह जालौन-झांसी लिंक एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को झांसी के औद्योगिक क्षेत्र से जोड़ने वाला है, जो अभी चार लेन का होगा लेकिन भविष्य में छह लेन में विस्तार संभव है। इस प्रोजेक्ट से बुंदेलखंड क्षेत्र का औद्योगिक और आर्थिक परिदृश्य पूरी तरह से बदलेगा। अस्पष्ट क्षेत्र में कनेक्टिविटी और आवागमन में सुधार आएगा, जिससे यहां के लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और आर्थिक गतिविधियां प्रगति करेंगी।
63 गांवों का होगा लाभ
यह एक्सप्रेसवे जिन 63 गांवों से होकर गुजरेगा, उनमें गरौठा-गोगल, कुडरी, डुंडी, मलहेटा, अहरौरा, अंडोल, भदरवारा बुजुर्ग, मेढ़का, चक मेढ़का, स्किल बुजुर्ग, नया केरा, लभेरा, गोरा, जुझारपुरा, बिलाटी खेर, रौतनपुरा, टेहरका, टहरौली शमशेरपुरा, सुरवई, परगाना, रावतपुरा समेत कई अन्य गांव शामिल हैं। इस भूमि अधिग्रहण से किसानों को बाजार मूल्य से बेहतर मुआवजा मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
यात्रा समय में होगी बड़ी राहत
जालौन-झांसी के बीच की यात्रा जो आमतौर पर तीन घंटे में पूरी होती है, इस एक्सप्रेसवे के बन जाने पर काफी कम हो जाएगी। बेहतर सड़क और तेज़ मार्ग के चलते यात्री सुगमता, सुरक्षा और समय की बचत का अनुभव करेंगे। साथ ही, झांसी में बढ़ते औद्योगिक विकास के चलते क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, जिससे स्थानीय लोगों के लिए खुशहाली आएगी।
सरकार की योजना और निवेश
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) इस महत्वपूर्ण परियोजना पर तेजी से काम कर रही है। अनुमानित लागत लगभग 1300 करोड़ रुपये है, जो इसे क्षेत्र के लिए एक बड़ा आर्थिक निवेश बनाता है। इस प्रकार की आधुनिक सड़क परियोजनाएं न सिर्फ सूखे और पिछड़े इलाकों का कायापलट कर सकती हैं, बल्कि पूरे प्रदेश के आर्थिक ढांचे को मजबूत कर सकती हैं।
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