दिल्ली की राजनीति में नई दिल्ली विधानसभा सीट हमेशा से चर्चा का केंद्र रही है। सात विधानसभा चुनावों में छह बार मुख्यमंत्री देने वाली इस सीट पर इस बार का मुकाबला बेहद रोमांचक हो गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया और मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, भाजपा के उम्मीदवार प्रवेश वर्मा (पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे), और कांग्रेस के प्रत्याशी संदीप दीक्षित (पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है।
नई दिल्ली विधानसभा सीट: एक नजर में इतिहास
- गठन: 1993 में।
- शीला दीक्षित का दौर: शीला दीक्षित ने 1998 से 2008 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री पद संभाला।
- केजरीवाल का उदय: 2013 में अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित को हराकर इस सीट पर बड़ी जीत दर्ज की। इसके बाद 2015 और 2020 में भी केजरीवाल यहां से विजयी रहे।
- कुल मतदाता: 1,45,901 (29 अक्टूबर 2024 तक)।
- पुरुष मतदाता: 79,799।
- महिला मतदाता: 66,101।
प्रमुख समस्याएं और मुद्दे
नई दिल्ली सीट पर पानी, रोजगार, और ट्रैफिक जाम जैसे मुद्दे प्रमुख बने हुए हैं।
- पानी की समस्या: पिलंजी गांव, संजय बस्ती, और दयानंद बस्ती जैसे इलाकों में गंदे पानी की आपूर्ति बड़ी समस्या बनी हुई है।
- रोजगार: वाल्मिकी बस्ती के युवा रोजगार के अभाव को लेकर नाराज हैं।
- जाम और अतिक्रमण: क्षेत्र में जगह-जगह अतिक्रमण के कारण सुबह-शाम ट्रैफिक जाम की समस्या आम है।
- सरकारी कर्मचारी: एनडीएमसी कर्मियों की मौत पर उनके परिजनों को नौकरी देने का वादा अधूरा है।
स्थानीय लोगों की राय
केके गोपी (झुग्गीवासी):
“पानी की पाइपलाइन बिछाई गई है, लेकिन कई इलाकों में गंदे पानी की समस्या अभी भी बनी हुई है।”
विजयपाल सिंह (रिटायर्ड एनडीएमसी कर्मी):
“एनडीएमसी कर्मियों की मौत के बाद परिजनों को नौकरी का वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ। मोहल्ला क्लीनिक भी यहां बंद पड़े हैं।”
मोहित और विपिन (वाल्मिकी बस्ती के युवा):
“हमारे लिए सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार है। सरकारें आती-जाती रहती हैं, लेकिन युवाओं के लिए नौकरी के अवसर नहीं बढ़ते।”
इस बार मुकाबला क्यों है खास?
- केजरीवाल का लगातार तीसरी बार दांव: मौजूदा मुख्यमंत्री के रूप में केजरीवाल के लिए यह चुनाव बेहद अहम है।
- भाजपा का दांव: भाजपा ने साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा को मैदान में उतारा है, जो एक मजबूत जातिगत और पारिवारिक बैकग्राउंड रखते हैं।
- कांग्रेस की चुनौती: संदीप दीक्षित, शीला दीक्षित के बेटे, अपनी मां की विरासत पर भरोसा कर रहे हैं।