New Debate on Nepotism: अर्चना पूरन सिंह ने की स्टार किड्स की तारीफ कहा प्रोफेशनल एथिक्स में बेहतर

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News India Live, Digital Desk: New Debate on Nepotism: बॉलीवुड में 'नेपोटिज्म' या भाई-भतीजावाद पर सालों से चली आ रही बहस ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है, और इस बार इस चर्चा को एक नया मोड़ दिया है जानी-मानी अभिनेत्री और टेलीविजन पर्सनालिटी अर्चना पूरन सिंह ने। उन्होंने खुलकर 'स्टार किड्स' (फिल्मी सितारों के बच्चे) के पक्ष में अपनी राय रखते हुए यह दावा किया है कि ये बच्चे 'प्रोफेशनल एथिक्स' (पेशेवर नैतिकता) के मामले में कहीं ज्यादा बेहतर होते हैं, और उद्योग की चुनौतियों को बाहरी लोगों आउटसाइडर्स की तुलना में बेहतर तरीके से समझते हैं।

अर्चना पूरन सिंह का तर्क है कि फिल्मी सितारों के बच्चे शुरू से ही एक ऐसे माहौल में बड़े होते हैं जहाँ ग्लैमर, शोहरत और इसके साथ आने वाले दबाव को देखा और महसूस किया जाता है। उनके घर में भी आम बातचीत में फिल्मों और करियर को लेकर गंभीर व्यावसायिक चर्चाएं होती हैं, जिससे वे इस बात को भली-भांति समझते हैं कि अभिनय केवल कला नहीं बल्कि एक बड़ा 'बिजनेस' है। उनके अनुसार, यह पूर्व-प्रशिक्षण उन्हें फिल्म उद्योग में आने पर अचानक मिलने वाली प्रसिद्धि, पैसे और काम के दबाव को संभालने में बहुत मदद करता है।

इसके विपरीत, अर्चना का कहना है कि वे लोग जो फिल्म उद्योग के बाहर से आते हैं (आउटसाइडर्स), उन्हें अक्सर अचानक मिली शोहरत और धन को संभालने में संघर्ष करना पड़ता है। उनके लिए यह दुनिया नई होती है, और उन्हें पेशेवर माहौल और इसके साथ आने वाली चुनौतियों के साथ तालमेल बिठाने में अधिक समय लग सकता है। अर्चना की इन बातों को इंडस्ट्री के कुछ और दिग्गजों का भी समर्थन मिला है, जिसमें अभिनेता अजय देवगन का नाम भी शामिल है, जिन्होंने पहले भी स्टारकिड्स की पेशेवर दक्षता पर सकारात्मक राय रखी है। करीना कपूर, सैफ अली खान और रणबीर कपूर जैसे कई स्टार किड्स को भी अर्चना अपनी बात के उदाहरण के रूप में देखती हैं, जो अपने परिवारों के नाम और legacy को सफलतापूर्वक संभाल रहे हैं।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब इंडस्ट्री में आंतरिक बनाम बाहरी बहस insider vs. outsider debate लगातार बनी हुई है। अर्चना पूरन सिंह के इस बयान ने सोशल मीडिया पर भी बहस छेड़ दी है, जहां कुछ लोग उनके तर्क से सहमत हैं, तो वहीं अन्य लोग नेपोटिज्म को हमेशा गलत मानते हुए उसे टैलेंट और बराबरी के अवसर में बाधा के रूप में देखते हैं। उनका यह नजरिया उद्योग के उन अंदरूनी पहलुओं को उजागर करता है जिन पर अक्सर बात नहीं की जाती।

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