सऊदी अरब में नौकरी के लिए भारतीय कामगारों को नई चुनौती, वीजा के लिए प्रोफेशनल वेरिफिकेशन अनिवार्य

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सऊदी अरब में नौकरी पाने की इच्छा रखने वाले भारतीय कामगारों को अब एक नई प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा। सऊदी सरकार ने 14 जनवरी 2025 से वर्किंग वीजा के लिए पेशेवर और शैक्षिक योग्यता की पूर्व-जांच (Professional Verification) अनिवार्य कर दी है। यह नियम भारतीय कामगारों की गुणवत्ता को बढ़ाने और श्रम बाजार में मानकों को सुधारने के उद्देश्य से लागू किया गया है।

नई प्रक्रिया और संभावित चुनौतियां

  • वर्क वीजा के लिए अब प्रोफेशनल वेरिफिकेशन टेस्ट और शैक्षिक प्रमाणपत्र की वैधता की जांच आवश्यक होगी।
  • वेरिफिकेशन सेंटर की सीमित उपलब्धता के कारण, कामगारों को दूरस्थ स्थानों तक यात्रा करनी पड़ेगी।
    • उदाहरण: ड्राइवरों के लिए वेरिफिकेशन सेंटर केवल राजस्थान के अजमेर और सीकर में उपलब्ध हैं।
    • दक्षिण भारत के आवेदकों को लंबी दूरी और भाषा संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • इस प्रक्रिया से समय और आर्थिक बोझ बढ़ने की संभावना है।

सऊदी अरब का 2030 विजन

यह कदम सऊदी अरब के विजन 2030 का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य रोजगार मानकों को बेहतर बनाना और कुशल श्रमिकों को आकर्षित करना है।

  • इस नीति के तहत, सऊदी अरब ने इकामत (रहने की अनुमति) और वीजा नियमों में भी बदलाव किए हैं।
  • अब प्रवासी अपने वीजा और इकामत को विदेश में रहते हुए भी रिन्यू कर सकते हैं।

भारतीय कामगारों का सऊदी श्रम बाजार में योगदान

  • वर्तमान में, 24 लाख भारतीय कामगार सऊदी अरब में काम कर रहे हैं।
    • इनमें से 16.4 लाख निजी क्षेत्र में और 7.85 लाख घरेलू कामों में लगे हैं।
  • नए नियम से रोजगार प्रक्रिया लंबी और महंगी हो सकती है, जिससे भारतीय कामगारों को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

समाधान की आवश्यकता

राज्यसभा सांसद हरीस बीरन ने इस मुद्दे पर चिंता जताई है और अधिक वेरिफिकेशन सेंटर खोलने की मांग की है, ताकि आवेदकों को सुविधा मिल सके।

सऊदी अरब की यह नई नीति कुशल श्रमिकों को प्राथमिकता देने का संकेत है, लेकिन इससे भारतीय कामगारों को रोजगार पाने में नई अड़चनों का सामना करना पड़ेगा। बेहतर प्रबंधन और अधिक केंद्रों की स्थापना से इन समस्याओं को हल किया जा सकता है।