ढाका-इस्लामाबाद के रिश्तों में नई शुरुआत: भारत के लिए संभावित चिंताएं

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बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में एक नई शुरुआत देखने को मिल रही है। बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने 1971 के कटु इतिहास को पीछे छोड़ते हुए पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने की इच्छा व्यक्त की है। पाकिस्तान की ओर से उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने बांग्लादेश को “खोया हुआ भाई” कहते हुए हर संभव मदद का भरोसा दिया। इस घटनाक्रम ने भारत समेत क्षेत्रीय राजनीति में नई चर्चाओं को जन्म दिया है।

ढाका और इस्लामाबाद के हालिया प्रयास

मिस्र में मुलाकात से शुरू हुआ नया अध्याय

कुछ दिनों पहले मिस्र में आयोजित डी-8 शिखर सम्मेलन के दौरान, बांग्लादेश के प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई।

  • यूनुस का प्रस्ताव: यूनुस ने 1971 की कटुता को भुलाने और भविष्य में बेहतर रिश्ते बनाने की अपील की।
  • शाहबाज का जवाब: पाकिस्तान ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि “हम बांग्लादेश के साथ मजबूत संबंध बनाने को लेकर आशावादी हैं।”
  • शाहबाज शरीफ ने यूनुस को पाकिस्तान आने का आमंत्रण भी दिया।

समुद्री संपर्क की बहाली

1971 के बाद पहली बार, दोनों देशों के बीच सीधे समुद्री संपर्क स्थापित हुआ है।

  • हाल ही में, कराची से एक मालवाहक जहाज चटगांव बंदरगाह पर पहुंचा।
  • इसके साथ ही पाकिस्तान के साथ कार्गो निरीक्षण संबंधी प्रतिबंध भी हटा लिए गए हैं।

बांग्लादेश के भीतर और बाहर उठते सवाल

आलोचना और विपक्ष का विरोध

यूनुस सरकार के इन प्रयासों को बांग्लादेश के अंदरूनी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

  • विपक्ष ने इसे “खतरनाक खेल” करार दिया है।
  • उनका कहना है कि देश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों और बढ़ते साम्प्रदायिक तनाव के बीच पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारना सही कदम नहीं है।

पाकिस्तान की मंशा पर सवाल

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश के वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है।

  • कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम बांग्लादेश की संप्रभुता और स्वतंत्रता के लिए चुनौती बन सकता है।

क्या यह भारत के लिए चिंता का विषय है?

क्षेत्रीय समीकरण पर असर

भारत के लिए, बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकियां रणनीतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं।

  • भौगोलिक दृष्टिकोण: बांग्लादेश, भारत का महत्वपूर्ण पड़ोसी है। दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक संबंध हैं।
  • पाकिस्तान के साथ संबंध मजबूत होने से बांग्लादेश की विदेश नीति में बदलाव आ सकता है।

सुरक्षा चिंताएं

विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश में कट्टरपंथ और अस्थिरता को बढ़ावा देने की कोशिश कर सकता है।

  • भारत के पूर्वोत्तर पर प्रभाव: बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति का सीधा असर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों पर पड़ सकता है।

यूनुस सरकार की चुनौती

राजनीतिक दबाव और अंतर्राष्ट्रीय नजरिया

यूनुस सरकार के इन फैसलों के नतीजों पर गहन चर्चा हो रही है।

  • अगर यह पहल सफल होती है, तो यह दोनों देशों के रिश्तों को नया आयाम दे सकती है।
  • लेकिन असफलता की स्थिति में, यह बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिरता और संप्रभुता के लिए जोखिम बन सकती है।