नई बैंकिंग व्यवस्था: बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2024 लोकसभा में पास हो गया है। इस विधेयक के जरिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934, बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम 1955 और में कुल 19 संशोधन प्रस्तावित हैं। इस विधेयक के पारित होने के बाद अब खाताधारक बैंक खाते में एक की जगह चार नॉमिनी बना सकेंगे। 7 साल तक दावा न किए गए लाभांश, शेयर, ब्याज और परिपक्व बॉन्ड की राशि को निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष यानी IEPF में ट्रांसफर किया जा सकेगा। इससे निवेशक IEPF के जरिए अपने पैसे का दावा कर सकेंगे। बैंकिंग संशोधन विधेयक 2024 में प्रस्तावित संशोधनों से न सिर्फ बैंकों के कामकाज में सुधार आएगा, बल्कि निवेशकों और खाताधारकों के हितों की रक्षा भी होगी।
बैंकिंग संशोधन विधेयक पारित होने के बाद अब खाताधारक के पास बैंक खाते के नॉमिनी को हिस्सा देने के लिए दो विकल्प होंगे। एक तो वह सभी नॉमिनी को एक साथ तय हिस्सा दे सकेगा। दूसरा, नॉमिनी को एक क्रम में रखना ताकि एक के बाद एक नॉमिनी को पैसा मिले। यह बदलाव इसलिए किया जा रहा है ताकि अनक्लेम की गई रकम सही वारिस तक पहुंचे। मार्च 2024 तक बैंकों में करीब 78,000 करोड़ रुपये की रकम ऐसी है जिस पर कोई दावा नहीं किया गया है।
सरकारी बैंकों के निदेशकों के संबंध में महत्वपूर्ण बदलाव
बैंकिंग संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशकों के लिए राज्य सहकारी बैंक में भी काम करने का रास्ता साफ हो गया है। सहकारी बैंकों के निदेशकों का कार्यकाल मौजूदा 8 साल से बढ़ाकर 10 साल किया जाएगा। हालांकि, चेयरमैन और पूर्णकालिक निदेशकों पर यह नियम लागू नहीं होगा। बैंकिंग संशोधन विधेयक में सरकारी बैंकों को ऑडिटर की फीस तय करने और शीर्ष स्तर की प्रतिभाओं को नियुक्त करने का अधिकार मिलेगा। इससे बैंक की ऑडिट गुणवत्ता में सुधार होगा।
रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समय-सीमा में परिवर्तन
बैंकिंग संशोधन विधेयक 2024 के नए कानून के तहत बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक को रिपोर्ट जमा करने की समयसीमा में बदलाव करने की अनुमति होगी। अब यह रिपोर्ट 15 दिन, एक महीने और तिमाही के अंत में दी जा सकेगी। इससे पहले बैंकों को हर शुक्रवार को आरबीआई को रिपोर्ट जमा करनी होती थी।