सर्दी के मौसम में अपनी सेहत का खास ख्याल रखना पड़ता है क्योंकि अधिक ठंड के कारण शारीरिक और मानसिक परेशानियां तेजी से बढ़ती हैं। एक शोध के मुताबिक सर्दियों में दिल का दौरा पड़ने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। 53 प्रतिशत से अधिक हार्ट अटैक की समस्या अत्यधिक ठंड के दौरान देखी जाती है। ऐसे में जरूरी है कि सर्दी के मौसम में अपने दिल का खास ख्याल रखा जाए।
ठंडे पानी से नहाना
सर्दी के मौसम में कई लोग सुबह-सुबह ठंडे पानी से नहाते हैं, लोगों का मानना है कि ठंडे पानी से नहाने से शरीर एक्टिव रहता है और आलस्य दूर होता है। हालाँकि, सर्दियों में ठंडे पानी से नहाना और इसकी शुरुआत सिर से करना खतरनाक हो सकता है। इससे ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल रक्त संचार ऊपर से नीचे यानी सिर से पैर तक होता है, अगर ठंडा पानी सीधे सिर पर डाला जाए तो मस्तिष्क की रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं। सिर ठंडा होने लगता है जिससे रक्त संचार प्रभावित होता है। ऐसे में हार्ट अटैक या दिमाग की नस फटने का खतरा रहता है। इससे बचने के लिए पहले पैरों पर और फिर शरीर के अन्य हिस्सों पर पानी लगाएं।
सर्दियों में अचानक न उठें
सर्दियों में जब आप सो रहे होते हैं तो धमनियां बंद रहती हैं। ऐसे में रक्त प्रवाह धीमा हो जाता है। अचानक उठकर अपना काम शुरू करने से रक्तचाप बढ़ सकता है जिससे चक्कर आना, बेहोशी और यहां तक कि दिल का दौरा पड़ने का भी खतरा रहता है।
हीटर का उपयोग करने से बचें।
हीटर की गर्मी हवा से नमी को अवशोषित करती है और ऑक्सीजन के स्तर को कम करती है, साथ ही कार्बन मोनोऑक्साइड को बढ़ाती है, जिससे शरीर में निर्जलीकरण हो सकता है। निर्जलीकरण के कारण रक्त गाढ़ा हो जाता है और हृदय को रक्त पंप करने में कठिनाई होती है। ऐसे में सर्दियों में हीटर या ब्लोअर जैसे उपकरणों से घर को जरूरत से ज्यादा गर्म रखना हानिकारक हो सकता है।
सोते समय ऊनी कपड़े न पहनें।
ऊनी रेशों में छिपा गर्म कंडक्टर शरीर की गर्मी को कपड़ों के अंदर ही बंद रखता है। ऐसी स्थिति में शरीर के ऊपरी हिस्से का तापमान कम हो जाता है और आंतरिक तापमान नियंत्रित नहीं हो पाता है, जिसके कारण रात में 7-8 घंटे तक शरीर का तापमान बढ़ता रहता है। इससे ब्लड प्रेशर और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. इसका असर हृदय स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।