लखनऊ,14 मई (हि.स.)। कांग्रेस पार्टी ने गंगा सफाई के मुद्दे पर वाराणसी के विकास कार्यों को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर सवाल उठाया है।
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कांग्रेस के प्रवक्ता अभय दुबे ने कहा कि आज से ठीक 10 साल पहले नरेन्द्र मोदी वाराणसी अपना पहला चुनाव लड़ने आये थे। अप्रैल 2014 में नामांकन भरते वक्त उन्होंने जो पहला वाक्य कहा था कि मुझे माँ गंगा ने बुलाया है और माँ गंगा की सफाई के बड़े-बड़े वादे काशी से किये थे। फिर काशीवासियों को कहा कि मैं काशी को क्योटो बनाने आया हूँ। साथ ही यह भी कहा था कि वाराणसी में पोर्ट बनाऊँगा जिसमें हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने फिर आदर्श ग्राम योजना के तहत कई गांवों को गोद लिया और उन गांवों में पानी, सड़क, शौचालय, सबको आवास, जैसे कई बढ़-चढ़ कर वादे किए। आज 10 साल बाद मोदी पुनः अपना नामांकन वाराणसी से भर रहे हैं सब जानते हैं मोदी के-वादों की वास्तविकता का अंतर न की गंगा की सफाई,आज फिर दी माँ गंगा की दुहाई।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा की सफाई को लेकर भाजपा सरकार पर गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि ‘‘सफाई नहीं कर रहे हैं या सफाई करना ही नहीं चाहते हैं। ’’इसके पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा था कि गंगा की एक बूंद भी साफ नहीं है। जनवरी 2024 में कोर्ट ने कहा कि माघ मेला शुरू हो रहा है, गंगा का पानी गंदा है, नालों का पानी सीधे गंगा में जा रहा है। इस पर सरकार ने स्वयं कोर्ट को बताया कि 40 फीसदी सीवर का पानी अभी भी सीधे गंगा में छोड़ा जाता है।
अभय दुबे ने कहा कि मोदी खुद पर हजारों फूलों की वर्षा करा रहे हैं, उनके गोद लिए गांव अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। मोदी ने वादा किया था कि हम ग्राम स्वराज लेकर आयेंगे सभी के लिए घर होगा, उसके बाद कहा था सूचना से सशक्तिकरण अर्थात सभी ग्राम पंचायतों को वाई-फाई से कनेक्ट किया जायेगा सभी गांवों में सीवरेज लाइन डाली जायेगी और कहा था कि रोबस्ट रोड़ कनेक्टीविटी होगी।
हाल ही में मोदी द्वारा गोद लिए गये गांव का दौरा पत्रकारों ने किया और उन्होंने पाया कि गांव के लोग पीने के पानी तक के लिए भी मौहताज हैं। 100-100 रुपये पर निजी लोग पानी बेचते हैं, वह भी उन्हें कपड़े से छानकर पीना पड़ता है। गटर की गैस से किसी ने चाय नहीं बनाई बल्कि कईयों ने जान गवांई।
पीएम मोदी के 10 साल के बाद भी वाराणसी के सीवर और नालों की स्थिति ठीक नहीं है। वाराणसी में स्थानीय लोगों की रिपोर्ट है कि मैला ढोने की कुप्रथा के कारण 25 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। स्वच्छ भारत योजना शुरू करने के 10 साल बाद भी प्रधानमंत्री मोदी अपने ख़ुद के निर्वाचन क्षेत्र में मैला ढोने की प्रथा को ख़त्म क्यों नहीं कर पाए?
न शिक्षा न स्वास्थ्य, न ही बढ़ाया तरक्की के लिए हाथ
कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा कि 10 साल तक सांसद और प्रधानमंत्री रहने के बाद वाराणसी को एक भी नया सरकारी अस्पताल नहीं मिला। न ही इसे एक भी नया जवाहर नवोदय विद्यालय या केन्द्रीय विद्यालय मिला है। पिछले दशक में ज़िले की जनसंख्या में अनुमानित रूप से 15-20 प्रतिशत या 6 लाख नए निवासियों की वृद्धि हुई होगी। जनसंख्या में हुई इस वृद्धि के लिए आवश्यक नए स्कूल और अतिरिक्त हॉस्पिटल बेड्स कहां हैं? प्रधानमंत्री ने अपने मतदाताओं की इन बुनियादी ज़रूरतों की उपेक्षा क्यों की है?