NEET PG 2025: धांधली के आरोपों के बीच सबकी नज़रें सुप्रीम कोर्ट पर, कल होगी पारदर्शिता की मांग पर सुनवाई
News India Live, Digital Desk: NEET PG 2025: देश भर के लाखों युवा डॉक्टर, जो पोस्ट-ग्रेजुएशन में एडमिशन पाने का सपना देख रहे हैं, उनकी धड़कनें इस वक्त तेज़ हैं. वजह है NEET PG 2025 परीक्षा में पारदर्शिता और कथित धांधली का मामला, जो अब देश की सबसे बड़ी अदालत, यानी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. कल, यानी 12 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट इस बेहद गंभीर मामले पर सुनवाई करने वाला है, और इस सुनवाई के नतीजे पर हज़ारों छात्रों का भविष्य टिका हुआ है.
यह मामला सिर्फ़ एक परीक्षा का नहीं, बल्कि उन डॉक्टरों के भरोसे का है जो सालों-साल दिन-रात एक करके इसकी तैयारी करते हैं. आइए, समझते हैं कि आख़िर ये पूरा विवाद है क्या और क्यों सबकी नज़रें सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर टिकी हैं.
क्या हैं छात्रों के आरोप और मांगें?
NEET PG 2025 की परीक्षा देने वाले कई डॉक्टरों और छात्र संगठनों ने परीक्षा की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उनका आरोप है कि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता की भारी कमी है. छात्रों की मुख्य मांगें कुछ इस तरह हैं:
- OMR शीट और आंसर-की जारी हो: छात्रों का कहना है कि उन्हें यह जानने का पूरा हक़ है कि उन्होंने अपनी OMR शीट में क्या जवाब भरे थे और परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था NBE (नेशनल बोर्ड ऑफ़ एग्ज़ामिनेशंस) ने कौन से जवाबों को सही माना है. वे चाहते हैं कि उनकी OMR शीट की स्कैन की हुई कॉपी और आधिकारिक आंसर-की (उत्तर कुंजी) सार्वजनिक की जाए.
- रैंक लिस्ट में पारदर्शिता: छात्रों का यह भी आरोप है कि जारी की गई रैंक लिस्ट में कई गड़बड़ियां हैं और यह समझ से परे है कि रैंकिंग किस आधार पर तय की गई है. वे एक पारदर्शी और साफ़-सुथरी मेरिट लिस्ट की मांग कर रहे हैं.
- पूछताछ की सुविधा: याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अगर किसी छात्र को अपने रिजल्ट पर कोई शक है, तो उसके पास सवाल पूछने या अपनी कॉपी दोबारा चेक करवाने का कोई विकल्प नहीं है, जो कि अन्याय है.
आसान शब्दों में कहें तो छात्र बस इतनी सी मांग कर रहे हैं कि जिस परीक्षा पर उनका पूरा करियर दांव पर लगा है, उसकी प्रक्रिया ऐसी हो जिस पर वे भरोसा कर सकें. उन्हें 'मान लीजिए कि सब ठीक है' वाला रवैया मंज़ूर नहीं है, वे 'देखिए कि सब ठीक है' वाली पारदर्शिता चाहते हैं.
सरकार और NBE का क्या है कहना?
दूसरी तरफ, सरकार और NBE का कहना है कि परीक्षा पूरी तरह से सुरक्षित और निष्पक्ष तरीके से आयोजित की गई थी. वे मानते हैं कि OMR शीट और आंसर-की जारी करने से पूरी परीक्षा प्रणाली की सुरक्षा ख़तरे में पड़ सकती है और भविष्य में इसका दुरुपयोग हो सकता ہے.
कल की सुनवाई क्यों है इतनी अहम?
सुप्रीम कोर्ट कल दोनों पक्षों की दलीलों को सुनेगा. इस सुनवाई से कई बातें तय हो सकती हैं:
- क्या कोर्ट NBE को OMR शीट और आंसर-की जारी करने का आदेश देगा?
- क्या कोर्ट परीक्षा प्रक्रिया में और ज़्यादा पारदर्शिता लाने के लिए कोई दिशा-निर्देश जारी करेगा?
- और सबसे बड़ा सवाल, क्या मौजूदा काउंसलिंग प्रक्रिया पर कोई रोक लगेगी?
यह मामला सिर्फ़ इस साल की परीक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भविष्य में होने वाली सभी मेडिकल परीक्षाओं के लिए एक नज़ीर बन सकता है. कल का दिन देश के उन हज़ारों युवा डॉक्टरों के लिए उम्मीद की एक नई किरण लेकर आ सकता है जो अपने भविष्य के लिए न्याय और पारदर्शिता की लड़ाई लड़ रहे हैं.
--Advertisement--