एनडीए सरकार: एक हफ्ते के अंदर ही मोदी सरकार के लिए संकट बन गए नीतीश और नायडू! भाजपा के ड्रीम प्रोजेक्ट पर लगेगा ताला!

एनडीए सरकार: लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को प्रमुखता से जगह दी थी. अपने दम पर बहुमत से दूर बीजेपी के लिए इसे कानून बनाना आसान नहीं होगा. 

इसके लिए उसकी टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू पर निर्भरता बढ़ गई है. केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को कहा था कि यूसीसी अभी भी सरकार के एजेंडे में है और हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि क्या होता है।

उनके इस बयान पर जेडीयू की ओर से भी प्रतिक्रिया आई है. जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने बुधवार को अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा. “बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2017 में यूसीसी पर विधि आयोग को पत्र लिखा था। हमारा रुख आज भी वही है। हम यूसीसी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम इस मुद्दे पर आम सहमति चाहते हैं।”

2017 के अपने पत्र में नीतीश ने लिखा था, “सरकार को समान नागरिक संहिता लाने का प्रयास करना चाहिए. इस प्रयास को स्थायी और टिकाऊ बनाने के लिए व्यापक सहमति होनी चाहिए. इसे किसी आदेश द्वारा थोपा नहीं जाना चाहिए.”

एनडीए में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी जेडीयू ने पहले कहा था कि यूसीसी को एक सुधार उपाय के रूप में देखा जाना चाहिए न कि एक राजनीतिक उपकरण के रूप में।

इसके साथ ही 16 सांसदों के साथ एनडीए की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी टीडीपी ने कहा है कि यूसीसी जैसे मुद्दों पर मिलकर चर्चा और समाधान करना चाहिए.