प्रकृति उपासक सरना धर्म मानते हैं और भगवान सिंङबोंगा की अरजी-गोवारी करते हैं:बगराय मुंडा

खूंटी, 23 जून (हि.स.)। सरना धर्म सोतोः समिति के तत्वावधान में तपकरा के गुटुहातू में रविवार को सरना धर्म प्रार्थना सभा सह झंडा बदली कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में गुटुहातू के पाहन जयराम गुड़िया और लुथड़ू मुंडा की अगुवाई में सरना स्थल में विधिवत पूजा-पाठ किया गया और सिङबोंगा से सुख, शांति व खुशहाली की कामना की गई।

इस अवसर पर धर्मगुरु बगराय ओड़ेया ने कहा कि हम प्रकृति उपासक सरना धर्म मानते हैं और भगवान सिंङबोंगा की अरजी, गोवारी करते हैं। इससे मानव जीवन में आध्यात्मिक शांति मिलती है और मानव जीवन में चेतना आती है। धर्म अगुआ जीतू पाहन ने कहा कि सरना धर्म विश्व का सबसे पुराना धर्म है। जरूरत है इसे बचाने की।

धर्मगुरु सोमा कंडीर ने कहा कि भगवान सिङबोंगा आंखों से दिखाई नही देते, क्योंकि हम प्रकृति को ही भगवान के रूप में महसूस करते हैं और उसे स्वीकारते हैं। हमारे पुरखों ने भी प्रकृति को ही आधार मानकर जीवन में अमल किया है। इसलिए हमें भी पुरखों से प्रेरणा लेकर सरना धर्म पर विश्वास रखना चाहिए। कार्यक्रम में तोरपा, रनिया, खूंटी, मुरहू और कमडारा प्रखंड के सरना धर्मावलम्बियों ने हिस्सा लिया।