Natural Disaster : हिमाचल में 97 दिन के आतंक के बाद खत्म हुआ मॉनसून, पीछे छोड़ गया तबाही का खौफ़नाक मंज़र
News India Live, Digital Desk: हिमाचल प्रदेश, जिसे देवभूमि कहा जाता है, इस साल मॉनसून के मौसम में एक भयानक त्रासदी से गुज़रा है. अब, पूरे 97 दिनों की तबाही के बाद, मॉनसून आधिकारिक तौर पर राज्य से विदा हो गया है, लेकिन पीछे छोड़ गया है विनाश के गहरे घाव और ऐसी यादें जो आसानी से नहीं भुलायी जाएंगी. इस मॉनसून ने हिमाचल में जीवन और संपत्ति दोनों का भारी नुकसान किया है.
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से मिली जानकारी बहुत डरावनी है. इस मॉनसून के दौरान पूरे हिमाचल प्रदेश में कम से कम 454 लोगों की दुखद मौत हो गई. इसके अलावा, कई लोग घायल हुए और कुछ लोग अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश जारी है. इस आपदा ने सिर्फ़ जान-माल का नुकसान ही नहीं किया, बल्कि हजारों परिवारों के जीवन पर सीधा और स्थायी प्रभाव डाला है.
वित्तीय रूप से भी राज्य को बहुत बड़ा झटका लगा है. इस पूरे मॉनसून सीजन में हिमाचल प्रदेश को लगभग ₹4,800 करोड़ का भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. सड़कों, पुलों, घरों और खेती की ज़मीनों को भारी नुकसान पहुंचा है, जिनकी मरम्मत और पुनर्निर्माण में सालों का समय और अथाह पैसा लगेगा. यह आंकड़ा अभी भी बढ़ सकता है क्योंकि कई अंदरूनी इलाकों से अभी भी सही-सही आकलन नहीं मिल पाया है.
मॉनसून का कहर जून से सितंबर के महीने तक लगातार जारी रहा, जिसमें भूस्खलन, बाढ़ और अचानक आई तेज़ बारिश ने पूरे राज्य को तहस-नहस कर दिया. खासकर जुलाई और अगस्त के महीने में तो स्थिति इतनी भयावह थी कि कई दिनों तक जनजीवन पूरी तरह ठप रहा. पर्यटक भी लंबे समय तक फंसे रहे.
हालांकि मॉनसून चला गया है, लेकिन सरकार और स्थानीय प्रशासन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती है, तबाही से उबरकर फिर से सब कुछ सामान्य बनाना. पुनर्निर्माण का काम तेज़ी से चल रहा है, लेकिन सड़कों और ढाँचे को फिर से बनाना एक बहुत बड़ी चुनौती होगी. साथ ही, जिन लोगों ने अपने घर-बार या खेती की ज़मीनें गंवा दी हैं, उनके पुनर्वास के लिए भी काम किया जा रहा है. यह त्रासदी हमें बताती है कि कैसे प्रकृति की शक्ति एक पल में सब कुछ बदल सकती है, और हमें आपदा प्रबंधन के लिए हमेशा तैयार रहना होगा.
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