जम्मू, 7 जुलाई (हि.स.)। नटरंग ने अपनी प्रतिष्ठित ‘संडे थियेटर’ शृंखला के अंतर्गत रविवार को हिंदी नाटक ‘तौबा-तौबा’ प्रस्तुत किया। राजिंदर कुमार शर्मा द्वारा लिखित और नीरज कांत द्वारा निर्देशित इस नाटक ने हास्यपूर्ण लेकिन विचारोत्तेजक प्रस्तुति दी, जिसमें कुछ कलाकारों की प्रतिबद्धता की कमी के कारण नाट्य समूहों द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दों पर प्रकाश डाला गया।
यह कहानी अनोखे लाल के घर पर शुरू होती है, जो एक निर्देशक है, जिसने अपने घर को आगामी नाटक के लिए रिहर्सल स्थल में बदल दिया है। जैसे ही रिहर्सल शुरू होती है, यह स्पष्ट हो जाता है कि अनोखे लाल ही अभ्यास सत्रों के लिए समर्पित एकमात्र व्यक्ति है। कभी भूमिका के लिए उत्सुक अभिनेता अब रिहर्सल छोड़ने के लिए विभिन्न बहाने पेश करते हैं। स्थिति एक नए नियुक्त नौकर की हरकतों से और जटिल हो जाती है, जो प्रत्येक प्रवेश के साथ कुछ न कुछ नई परेशानी लेकर आता है।
प्रदर्शन की तारीख के करीब आने पर अनोखे लाल को बढ़ते तनाव का सामना करना पड़ता है। अभिनेता अपनी लाइनें भूल जाते हैं, देर से पहुंचते हैं और शो के टिकट पहले ही बिक चुके होते हैं। अंतिम संकट तब आता है जब नायक के पिता की भूमिका निभाने वाला अभिनेता व्यक्तिगत प्रतिबद्धताओं के कारण बाहर हो जाता है। हताश होकर अनोखे लाल अपने नौकर को इस पिता का किरदार निभाने के लिए प्रशिक्षित करता है। जब अनोखे लाल के असली पिता आते हैं तो योजना गड़बड़ा जाती है, जिससे एक हास्यपूर्ण लेकिन तीव्र टकराव होता है जिसमें अनोखे लाल और उसके नौकर दोनों को डांट पड़ती है। ‘तौबा-तौबा’ के कलाकारों में मिहिर गुजराल, आदेश धर, वंदना ठाकुर, कुशल भट्ट, बृजेश अवतार शर्मा और चैतन्य शेखर शामिल थे।