पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर देशभर में शोक, उनके योगदान और आलोचनाओं को किया जा रहा याद

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पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन ने पूरे देश को शोकग्रस्त कर दिया है। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता और प्रधानमंत्री के रूप में उनकी सादगी को आज हर कोई याद कर रहा है। हालांकि, उनके नेतृत्व की आलोचना और उनका “निर्णायक न होने” का तमगा भी चर्चा का विषय रहा है।

सोनिया गांधी का रणनीतिक निर्णय और पीएम की कुर्सी

2004 के आम चुनावों में जब कांग्रेस और सहयोगी दलों को बढ़त मिली, तो सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने की अटकलें तेज हो गई थीं। लेकिन विदेशी मूल के विवाद के चलते उन्होंने एक अप्रत्याशित निर्णय लेते हुए डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री पद के लिए आगे कर दिया।

इस निर्णय को गांधी परिवार के लिए रणनीतिक कदम माना गया।

  • एक सिख नेता को प्रधानमंत्री बनाकर 1984 के सिख दंगों के दाग कांग्रेस से मिटाने का प्रयास किया गया।
  • मनमोहन सिंह, एक अर्थशास्त्री और सादगीपूर्ण छवि वाले व्यक्ति, को चुनने से यह संदेश गया कि निर्णय-making का नियंत्रण गांधी परिवार के हाथों में रहेगा।

‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ और सिंह का नेतृत्व

मनमोहन सिंह के सलाहकार रहे संजय बारू ने अपनी पुस्तक द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर में उनके नेतृत्व शैली और कांग्रेस हाईकमान के साथ उनके समीकरणों पर रोशनी डाली।

बारू लिखते हैं:

  • यूपीए-1 में “सारे अच्छे कामों का श्रेय सोनिया गांधी को मिलता था,” जबकि किसी भी असफलता के लिए मनमोहन सिंह को जिम्मेदार ठहराया जाता था।
  • डॉ. सिंह ने कभी इस सच्चाई को नकारा नहीं। जब सहयोगी दल कोई मुश्किल मांग रखते, तो वे कहते, “अंतिम निर्णय सोनिया गांधी लेंगी।” यह कहकर वे जटिल मुद्दों को टाल जाते थे।
  • इस प्रकार, जिसे उनकी कमजोरी समझा गया, वही उनकी ताकत बन गई।

कुशल विदेश नीति पर ध्यान केंद्रित किया

बारू के अनुसार, गवर्नेंस में उनके “बंधे हुए हाथों” के कारण, डॉ. सिंह ने विदेश नीति पर अपना ध्यान केंद्रित किया। नटवर सिंह के माध्यम से उन्होंने कई कूटनीतिक उपलब्धियां हासिल कीं।

आलोचना और “रिमोट से चलने वाली सरकार” का तमगा

अपने 10 साल के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान, डॉ. मनमोहन सिंह को “रिमोट कंट्रोल से चलने वाली सरकार” का प्रतीक माना गया। विपक्ष और मीडिया ने उनकी चुप्पी और निर्णय लेने में गांधी परिवार की भूमिका पर जमकर निशाना साधा।

अपने अंतिम दिनों में व्यक्त किया दर्द

प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में डॉ. सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने मन की बात साझा की। उन्होंने कहा:

“विपक्ष और मीडिया मेरे प्रति निर्मम रहे हैं, लेकिन मुझे उम्मीद है कि इतिहास मेरे साथ उदारता दिखाएगा।”

मनमोहन सिंह: सादगी और कुशलता का प्रतीक

अर्थशास्त्री के रूप में डॉ. सिंह ने भारत के आर्थिक सुधारों की नींव रखी। उनकी नीली पगड़ी, सादगीपूर्ण जीवनशैली, और विचारशील व्यक्तित्व ने उन्हें खास बनाया। उनके कार्यकाल में आलोचना के बावजूद, वे अपनी चुप्पी और दृढ़ता के माध्यम से भारतीय राजनीति में अपनी अमिट छाप छोड़ गए।