Nataraja : शिव के कोप से जन्मा और उनके ही चरणों में मिला जिसे स्थान, पढ़ें उस असुर की कहानी
- by Archana
- 2025-08-12 11:38:00
Newsindia live,Digital Desk: Nataraja : भगवान शिव के अनेक रूपों में से एक नटराज स्वरूप है, जिसमें वे नृत्य की मुद्रा में दिखाई देते हैं। इस मनमोहक स्वरूप में एक खास बात यह है कि भगवान शिव अपने एक पैर के नीचे एक दैत्य को दबाए हुए हैं। अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि यह दैत्य कौन है और भगवान शिव ने इसे अपने पैरों के नीचे क्यों दबा रखा है। इस दैत्य का नाम अपस्मार है, और इसकी कथा अज्ञान पर ज्ञान की विजय को दर्शाती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपस्मार एक बौना दैत्य था, जिसे अपने ज्ञान और शक्ति पर बहुत अभिमान हो गया था। वह खुद को अमर और अजेय मानता था। इस अहंकार में चूर होकर उसने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया और लोगों की चेतना को उनसे छीन लेता था, जिससे वे अपनी याददाश्त खो बैठते थे। उसके इस कृत्य से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया।
इस समस्या के समाधान के लिए सभी देवी-देवता और ऋषि-मुनि भगवान शिव की शरण में पहुँचे। उन्होंने शिव जी से अपस्मार के आतंक से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। तब भगवान शिव ने नटराज का रूप धारण किया और अपना दिव्य तांडव नृत्य शुरू किया। अपने इस ब्रह्मांडीय नृत्य के दौरान उन्होंने उस अहंकारी दैत्य अपस्मार को अपने पैरों के नीचे दबा लिया।
भगवान शिव ने अपस्मार का वध इसलिए नहीं किया क्योंकि उसका अस्तित्व भी आवश्यक था। अपस्मार अज्ञान, विस्मृति और अहंकार का प्रतीक है। यदि उसका नाश हो जाता, तो ज्ञान और विवेक का महत्व भी समाप्त हो जाता, क्योंकि ज्ञान की अनुभूति अज्ञान की उपस्थिति में ही होती है। इसलिए, भगवान शिव ने उसे अपने पैरों के नीचे हमेशा के लिए दबाकर उसके अहंकार को नष्ट कर दिया और ज्ञान पर अज्ञान के प्रभाव को नियंत्रित किया। नटराज का यह स्वरूप हमें यह संदेश देता है कि ज्ञान और चेतना के माध्यम से ही अहंकार और अज्ञानता पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
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