नागपुर, जो आमतौर पर अपनी शांत और सांस्कृतिक छवि के लिए जाना जाता है, 17 मार्च की रात को अचानक हिंसा की चपेट में आ गया। छत्रपति संभाजीनगर में औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद खड़ा हुआ, जिसने नागपुर तक आग पहुंचा दी। विश्व हिंदू परिषद (VHP) द्वारा किए गए एक विरोध प्रदर्शन के दौरान अफवाह फैली कि पवित्र शिलालेखों वाली एक चादर को जला दिया गया है। यह महज एक अफवाह थी, लेकिन इसने लोगों के दिलों में आग लगा दी।
जैसे ही यह झूठी सूचना फैली, शहर के कई हिस्सों में माहौल बिगड़ गया। गुस्साई भीड़ ने सड़कों पर उतरकर पथराव, आगजनी और तोड़फोड़ शुरू कर दी। जो शुरुआत में एक विरोध था, वह चंद घंटों में ही हिंसा का भयंकर रूप ले चुका था। कई दुकानों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया।
कब और कहां हुई थी पहली झड़प?
हिंसा की पहली रिपोर्ट नागपुर के उत्तर-पूर्वी हिस्से से आई थी, जहां दो समुदायों के बीच झड़प हुई। शुरुआत में यह सिर्फ नारेबाजी थी, लेकिन देखते ही देखते हालात बेकाबू हो गए। पुलिस की शुरुआती कार्रवाई में हालात थोड़े समय के लिए काबू में आए, लेकिन रात होते-होते शहर के अन्य हिस्सों में भी हिंसा फैल गई।
घटनास्थलों पर मौजूद चश्मदीदों के अनुसार, पत्थरबाज़ी और आगजनी की घटनाएं तेजी से बढ़ीं। कुछ जगहों पर धार्मिक स्थल भी निशाने पर रहे, जिससे हालात और गंभीर हो गए। प्रशासन को मजबूरन कर्फ्यू लागू करना पड़ा, ताकि हिंसा को रोका जा सके।
17 मार्च की रात: जब नागपुर जल उठा
क्या हुआ उस रात?
17 मार्च की रात को नागपुर ने एक ऐसा मंजर देखा, जो शायद ही कोई भूल पाएगा। होली के त्योहार के बाद आमतौर पर शहर जश्न में डूबा होता है, लेकिन इस बार माहौल तनावपूर्ण था। रात करीब 9 बजे के बाद शहर के कई इलाकों से तोड़फोड़ और पथराव की खबरें आने लगीं। देखते ही देखते भीड़ उग्र हो गई और कई गाड़ियों, दुकानों और घरों को नुकसान पहुंचाया गया।
पुलिस बल मौके पर पहुंचा, लेकिन भीड़ की संख्या इतनी ज्यादा थी कि हालात काबू से बाहर हो गए। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। हालात इतने गंभीर हो गए कि प्रशासन को नागपुर के 11 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाना पड़ा।
हिंसा के केंद्र में कौन-कौन से इलाके रहे?
नागपुर के सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में शामिल थे मोमिनपुरा, गांधीबाग, इतवारी, लकड़गंज और सतरंजीपुरा। इन इलाकों में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उन्हें बिना किसी चेतावनी के घरों में कैद होना पड़ा। स्कूल, कॉलेज, बाज़ार सब कुछ बंद कर दिया गया।
वहीं पुलिस का कहना है कि यह कार्रवाई ज़रूरी थी ताकि हालात नियंत्रण में लाए जा सकें। नागपुर पुलिस कमिश्नर रविंदर कुमार सिंघल ने बताया कि हिंसा को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया और इसकी जांच के लिए विशेष टीम गठित की गई है।
घायल व्यक्ति की मौत से बढ़ा तनाव
कौन था इरफान अंसारी?
इस हिंसा में घायल हुए लोगों में एक नाम सामने आया – इरफान अंसारी। इरफान उस वक्त हिंसा की चपेट में आ गया जब वह अपने घर से दवाई लेने निकला था। गोलीबारी और पत्थरबाज़ी में गंभीर रूप से घायल इरफान को तत्काल मेयो अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत लगातार नाजुक बनी रही।
डॉक्टर्स ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन 21 मार्च को उसकी मौत हो गई। इरफान की मौत ने पहले से तनावग्रस्त माहौल को और अधिक संवेदनशील बना दिया। उसके परिवार और समुदाय में शोक और आक्रोश दोनों देखने को मिला।
मौत के बाद की स्थिति और माहौल
इरफान की मौत की खबर फैलते ही कई इलाकों में फिर से तनाव फैल गया। लोग सड़कों पर उतर आए और इंसाफ की मांग करने लगे। पुलिस और प्रशासन को स्थिति को काबू में करने के लिए फिर से अतिरिक्त बल तैनात करना पड़ा।
इसके बाद प्रशासन ने यह ऐलान किया कि कुछ क्षेत्रों में कर्फ्यू अभी भी जारी रहेगा, खासकर उन इलाकों में जहां हालात अब भी तनावपूर्ण हैं। वहीं, इरफान के परिजनों को मुआवज़ा देने और न्याय दिलाने की मांग को लेकर सामाजिक संगठनों ने भी आवाज उठाई है।
पुलिस का एक्शन और गिरफ्तारियां
कितने लोगों को अब तक पकड़ा गया?
पुलिस की तरफ से तेजी से कार्रवाई की गई है। अब तक इस मामले में कुल 105 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसमें शुक्रवार को गिरफ्तार किए गए 14 लोग भी शामिल हैं। खास बात यह है कि इन 14 में से 10 नाबालिग हैं, जिनकी भूमिका की भी जांच की जा रही है।
नागपुर पुलिस का कहना है कि हर आरोपी की पहचान सीसीटीवी फुटेज, वीडियो और चश्मदीद गवाहों की मदद से की गई है। इसके अलावा, तीन नई एफआईआर भी दर्ज की गई हैं, जिससे साफ है कि जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
गिरफ्तारियों में नाबालिग क्यों शामिल?
इस सवाल का जवाब पुलिस भी तलाश रही है। अधिकारियों का मानना है कि सोशल मीडिया पर वायरल अफवाहों ने युवाओं, खासकर नाबालिगों को भी भड़काने का काम किया। कई मामलों में यह देखा गया है कि बच्चों को भीड़ में शामिल किया गया ताकि पुलिस कार्रवाई से बचा जा सके।
इसलिए पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि क्या किसी ने जानबूझकर नाबालिगों को इस हिंसा में शामिल किया। अगर ऐसा पाया गया, तो उन लोगों के खिलाफ अलग से कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, गिरफ्तार नाबालिगों की काउंसलिंग कराने की भी योजना है ताकि उन्हें मुख्यधारा में लाया जा सके।