Mythological Story : राजा सगर के 60 हजार पुत्रों का रहस्य,महर्षि कपिल मुनि के क्रोध से कैसे हुए भस्म
- by Archana
- 2025-08-07 11:09:00
News India Live, Digital Desk: Mythological Story : पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा सगर सूर्यवंश के एक प्रतापी शासक थे। दीर्घकाल तक संतान सुख से वंचित रहने के बाद, उन्होंने अपनी पटरानियों के माध्यम से वंश वृद्धि की। उनकी एक रानी, सुमति, के गर्भ से 60 हजार पुत्रों का जन्म हुआ, जबकि दूसरी रानी यशोमति ने एक पुत्र, असमंजस को जन्म दिया। असमंजस का चरित्र बुरा था और वह बालकों को सरयू नदी में फेंक देता था।
राजा सगर ने अपने वंश को आगे बढ़ाने और महत्वपूर्ण अनुष्ठान करने के उद्देश्य से अश्वमेध यज्ञ करने का निश्चय किया। यज्ञ के लिए पवित्र घोड़ा छोड़ा गया, जिसकी सुरक्षा का जिम्मा राजा के 60 हजार पुत्रों को सौंपा गया। परंतु, यज्ञ के दौरान वह घोड़ा अचानक गायब हो गया। घोड़ा ढूंढने के लिए निकले राजा सगर के 60 हजार पुत्रों ने घोड़े की तलाश करते-करते पाताल लोक तक की यात्रा की।
पाताल लोक में उन्होंने घोड़े को महर्षि कपिल मुनि के आश्रम के निकट चरता हुआ पाया। अपने 60 हजार पुत्रों ने यह मान लिया कि महर्षि कपिल मुनि ने ही घोड़े की चोरी की है। उन्होंने ऋषि का अनादर किया और उन पर आक्रमण करने का प्रयास किया। महर्षि कपिल मुनि, जो ध्यान में लीन थे, पुत्रों के इस दुर्व्यवहार और आक्रामक रवैये से क्रोधित हो गए। अपने क्रोध से उन्होंने तीनों लोकों में ध्वनि गूंजा दी और अपने ध्यान को भंग करके जैसे ही उन्होंने अपने नेत्र खोले, उनकी दिव्य दृष्टि के तेज से राजा सगर के सभी 60 हजार पुत्र क्षण भर में भस्म हो गए।
यह भी कहा जाता है कि असमंजस, अपने दुराचारों के कारण देवताओं द्वारा सरयू नदी में विलीन कर दिया गया था। इस प्रकार, राजा सगर का वंश केवल उनके एक पोते, अंशुमान तक ही सीमित रह गया। आगे चलकर अंशुमान ने ही अपने पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए घोर तपस्या की, जिसके फलस्वरूप ही स्वर्ग से गंगा का अवतरण संभव हुआ, जो इन 60 हजार पुत्रों को मोक्ष दिलाने का एकमात्र मार्ग थी।
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