Muzaffarpur Rape case : कोर्ट ने थानेदार पर जुर्माना लगाया, दो कांस्टेबलों पर कार्रवाई का आदेश

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News India Live, Digital Desk: मुजफ्फरपुर में एक दुष्कर्म पीड़िता को रात भर थाने में बैठाए रखने और केस में देरी करने को लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठे हैं। इस मामले में विशेष पोक्सो कोर्ट (अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय) ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने मिठनपुरा के तत्कालीन थानेदार (SHO) श्रीकांत सिन्हा पर 1000 रुपये का जुर्माना लगाया है और वर्तमान डीएसपी पूर्वी को भी जुर्माना लगाने पर विचार करने का निर्देश दिया है। इसके अतिरिक्त, दो दोषी कांस्टेबलों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का भी आदेश दिया गया है, क्योंकि उनकी लापरवाही के कारण दुष्कर्म का शिकार हुई नाबालिग पीड़िता को थाने में रात गुजारनी पड़ी थी।

मामला एक लड़की के अपहरण और दुष्कर्म से जुड़ा है। परिजनों के अनुसार, पिछले साल एक शख्स उनकी बेटी को अपहरण कर दिल्ली ले गया, जहां उसने उसके साथ दुष्कर्म किया। करीब 45 दिन बाद पीड़िता को सकुशल वापस लाया गया। पीड़िता ने बयान दिया कि आरोपी उसके दोस्त की बहन के रिश्तेदार के रूप में उसके घर आता था और घटना वाले दिन मौका पाकर उसे अपहरण कर दिल्ली ले गया। वहां आरोपी और उसकी पत्नी दोनों ने उसे कमरे में बंद कर दिया और धमकी दी। लड़की की मां को जान से मारने की धमकी देकर दिल्ली के शाहदरा थाना क्षेत्र में उसके साथ दुष्कर्म किया। बाद में आरोपी से पैसे लेकर वे पीड़िता को छोड़ कर भाग गए।

जब पीड़ित पक्ष थाने पहुंचा, तो एफआईआर दर्ज करने में करीब 42 घंटे की देरी की गई। परिजनों का आरोप है कि उन्हें आधी रात को पुलिस ने जबरन थाना बुलाया और सुबह तक बिठाकर रखा। उनकी रिपोर्ट तब लिखी गई जब थाना में किसी महिला अधिकारी के नहीं होने की वजह से थानेदार (SHO) रात के वक्त बाहर गए हुए थे। मामले को लंबित रखने और जांच में लापरवाही बरतने के लिए अदालत ने डीएसपी पूर्वी को थानेदार और संबंधित पुलिसकर्मियों की भूमिका की समीक्षा करने का आदेश दिया है। इस पर मिठनपुरा के वर्तमान थानाध्यक्ष प्रभात रंजन ने कहा कि अदालत का जो भी आदेश है, उसका पालन किया जाएगा।

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, 7 फरवरी, 2024 की सुबह करीब 10 बजे लड़की अपने घर लौटी थी। परिजनों ने घटना के बारे में उसी रात लगभग 8:30 बजे थाने में जानकारी दी, लेकिन अगले दिन दोपहर करीब 3 बजे ही एफआईआर दर्ज की गई। यह देरी और रात भर नाबालिग को थाने में रखने का मामला कोर्ट के संज्ञान में आया, जिस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है।

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