मुंबई अदालत ने न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के दो अधिकारियों को हिरासत में भेजा

Scam New

मुंबई की एक अदालत ने न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के जनरल मैनेजर हितेश मेहता और सह-अभियुक्त धर्मेश पौन को 21 फरवरी, 2025 तक पुलिस हिरासत में रखने का आदेश दिया है। दोनों पर बैंक की प्रभादेवी और गोरेगांव शाखाओं से 122 करोड़ रुपये की गबन का आरोप है।

मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने 16 फरवरी को मेहता और पौन को होलिडे कोर्ट में पेश किया था। पेशी के बाद अदालत ने जांच में आसानी के लिए दोनों को पुलिस हिरासत में रखने की मंजूरी दे दी।

मेहता को 15 फरवरी को उनके आवास पर की गई छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया गया था। हिरासत में लेने से पहले उन्हें मुंबई की आर्थिक अपराध शाखा के कार्यालय ले जाकर गहन पूछताछ की गई। यह मामला तब सामने आया जब न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के सीईओ ने 14 फरवरी को शिकायत दर्ज कराई थी।

शिकायत में बताया गया है कि 2020 से 2025 के बीच मेहता और उनके सहयोगियों ने बैंक की प्रभादेवी और गोरेगांव शाखाओं से 122 करोड़ रुपये की हेराफेरी की साजिश रची। अभियुक्तों पर भारतीय न्यायसंहिता की धारा 316(5) और 61(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

इस घोटाले के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने बैंक की स्थिरता और जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। रिजर्व बैंक ने बैंक के बोर्ड को एक साल के लिए मुक्त कर दिया है और बैंक के ऑपरेशंस के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया है। साथ ही, जमाकर्ताओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फंड निकासी पर पाबंदी लगा दी गई है।

इन पाबंदियों के चलते बैंक के कई ग्राहक चिंतित हैं और विभिन्न शाखाओं पर जाकर अपने फंड्स की सुरक्षा तथा उपलब्धता के बारे में स्पष्टीकरण मांग रहे हैं।