संत कबीर जयंती पर बहुभाषी कवि सम्मेलन आयोजित

मंडी, 21 जून (हि.स.)। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस तथा महान् संत कबीर की जयंती के उपलक्ष्य पर भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा संस्कृति सदन मंडी में बहुभाषी कवि स मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें जिला के कवियों व साहित्यकारों ने शामिल होकर अपनी-अपनी रचनाओं पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कवि मुरारी शर्मा ने की। कार्यक्रम की शुरूआत विद्या की देवी मां सरस्वती की वंदना व द्वीप प्रज्जवल के साथ की गई। वहीं जिला भाषा अधिकारी द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा विश्व योग दिवस पर जीवन में योग का महत्व और उसकी अनिवार्यता पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि सन्त कबीर का सामाज सुधार में योगदान तथा उनकी श्क्षिाओं का अनुसरण करने की अपील की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार मुरारी शर्मा ने कहा कि कबीर हमारे पुरखे कवि हैं, कबीर अपनी कविता केमाध्यम से समाज की कुरीतियों, विसंगतियों, पाखंडों,अंधविश्वासों पर करारा प्रहार करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक विसंगतियों, रूढिय़ों और अंधविश्वासों के खिलाफ लिखने वाला हर कवि अपने आप में कबीर की परंपरा से जुड़ा है। मगर कबीर होना इतना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि अच्छा लिख हुआ कभी भी विलुप्त नहीं हो सकता। कबीर इसके उदाहरण हैं, भले ही उन्हें भुलाने की कोशिश की गई। लेकिन तीन सौ साल बाद फिर से हजारी प्रसाद द्विवेदी जैसे विद्धान दोबारा कबीर को मु यधारा में लेकर आए। जब तक समाज में विसंगतियां, पाखंड, अंधविश्वास और कुरीतियों का बोलबाला रहेगा कबीर प्रसंगिक रहेंगे। इसके चलते आजके दौर में कबीर की प्रासंगिकता कम नहीं हुई है।

कवियों ने किया विसंगतियों पर प्रहार

इस अवसर पर आयोजित कवि स मेलन में अनिल महंत अपनी कविता कुछ यूं कही- मेरे लेखन में शिल्प नहीं है ,मै लिख देता हूॅं जो मन मे होता है। वहीं विद्या शर्मा ने कहा किएक तपती दोपहर है औरतों की जिंदगी। राजेन्द्र सिंह ठाकुर ने कहा मैं एक मजदूर बड़ा मजबूर कोई तो मेरी व्यथा समझे। इसके अलावा लतेश कुमार ने संत कबीर के व्यक्तित्व कृतिव पर प्रकाश डालते हुए द्वंद नामक कविता प्रस्तुत की। मंडयाली कवि विनोद गुलेरिया ने अपने अंदाज में मेरिए नारे- मंडयाली कविता सुनाकर सबका मनोरंजन किया। इधर, वरिष्ठ कवि कमल के. प्यासा ने किनारा क्षणिका- परदे की बात, क्योंकि परदे भी पहचान रखते हैं कविता पढीं। वहीं जगदीश कपूर ने दादी मां, हरिप्रिया ने कबीर जी के दौहे पढ़ कर अभिभूत किया तथा मंडयाली कविता भी सुनाई। लोकगायिका कृष्णा ठाकुर ने योग दिवस पर पहाड़ी गीत अपनी मधुर आवाज में गीत प्रस्तुत कर अपनी उपस्थिति का अहसास करवाया।