भोपाल, 14 मई (हि.स.)। इंदौर नगर निगम में करीब सौ करोड़ रुपये के फर्जी बिल घोटाले में राज्य सरकार ने चार अफसरों को सस्पेंड कर दिया है। वित्त विभाग के अवर सचिव विजय कठाने ने मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। ये चारों अधिकारी निगम में लंबे समय लोकल ऑडिट फंड विभाग में पदस्थ थे। उनकी जिम्मेदारी थी कि फाइलों को बारिकी से निरीक्षण कर भुगतान के लिए उसे भेजे, लेकिन उन्होंने इस काम में लापरवाही बरती और वे खुद घोटाले में लिप्त पाए गए।
वित्त विभाग के अवर सचिव विजय कठाने ने संयुक्त संचालक अनिल कुमार गर्ग को निलंबित किया। गर्ग ने ही फर्जी फाइलों के बिलों को मंजूरी दी थी और ठेकेदारों को भुगतान भी हो गया था। गर्ग के अलावा उप संचालक समर सिंह परमार, रामेश्वर परमार और जेए ओहरिया को भी निलंबित किया गया है। चारों को सागर में भेजा गया है। इन चारों अफसरों ने बिल मंजूर किए थे, जबकि यदि वे फाइलों का बारिकी से निरीक्षण करते तो घोटाला पहले ही पकड़ में आ सकता था। इन चारों अफसरों की घोटाले में जांच को लेकर निगमायुक्त शिवम वर्मा ने राज्य सरकार को लिखा था।
इंदौर महापौर पुष्य मित्र भार्गव ने कहा कि दो तीन साल पुराने कामों के बिल भुगतान के लिए लगाए गए। यदि बजट में से राशि कामों के लिए खर्च हो रही है तो तत्कालीन अफसरों की जिम्मेदारी थी कि वे उन कामों का भौतिक सत्यापन करें, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि उच्च स्तरीय जांच में उनकी भूमिका की भी जांच होना चाहिए। उन्होंने कहा कि घोटालेबाज अफसरों से ही घोटाले की राशि वसूली जाए, इसके लिए कानून भी है। उन्होंने कहा कि नाला टैपिंग प्रोजेक्ट की भी जांच होना चाहिए।