सुप्रीम कोर्ट का फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में मनी लॉन्ड्रिंग को देश की वित्तीय प्रणाली और संप्रभुता व अखंडता के लिए खतरा बताया है। अदालत ने कहा, ‘धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) का उद्देश्य धन शोधन को रोकना है, जो देश की वित्तीय प्रणाली के लिए खतरा है। मनी लॉन्ड्रिंग एक गंभीर अपराध है जिसमें व्यक्ति अपना लाभ बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय और सामाजिक हितों की अनदेखी करता है। इस अपराध को किसी भी तरह से सामान्य अपराध नहीं कहा जा सकता।’
पीएमएलए का दुरुपयोग हो रहा है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कानून मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों से निपटने के लिए बनाया गया है। इसमें धन शोधन गतिविधियां शामिल हैं जिनका वित्तीय प्रणाली पर अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव पड़ता है, जिससे देशों की संप्रभुता और अखंडता भी प्रभावित होती है। पूरी दुनिया में मनी लॉन्ड्रिंग को एक गंभीर अपराध माना जाता है। इसमें शामिल अपराधियों को सामान्य अपराधियों से अलग श्रेणी में माना जाता है।
न्यायमूर्ति अभय एस. न्यायमूर्ति ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन मसीह की पीठ ने कहा, ‘धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों का इस्तेमाल किसी को हमेशा के लिए जेल में रखने के लिए नहीं किया जा सकता।’ दहेज अधिनियम (धारा 498 ए) की तरह पीएमएलए का भी दुरुपयोग किया जा रहा है।’
पूरा मामला क्या है?
अदालत ने यह टिप्पणी छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले के आरोपी पूर्व आईएएस अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी को जमानत देते हुए की। त्रिपाठी पर छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में धन शोधन का आरोप लगाया गया था, हालांकि, उन्हें जेल से रिहा नहीं किया जाएगा क्योंकि वह आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज एक अन्य मामले का सामना कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि त्रिपाठी पर छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में धन शोधन का आरोप लगा था और उन्हें 2023 में गिरफ्तार किया गया था।