मोढेरा सूर्य मंदिर : देशभर में कई मंदिर हैं, जिनका इतिहास कई साल पुराना है। आज के इस आर्टिकल में हम जिस मंदिर के बारे में बात कर रहे हैं वह 1000 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां सूर्य की किरणें सबसे पहले पड़ती हैं। इससे भी खास बात यह है कि इस मंदिर का नाम भी सूर्य मंदिर है। यह मंदिर अंतरिक्ष के रहस्यों और सूर्य और पृथ्वी के बीच अनोखे रिश्ते को दर्शाता है। मान्यता है कि जब इस मंदिर में सूर्य भगवान अभिषेक करते हैं तो यहां आना शुभ माना जाता है।
कहां स्थित है यह अनोखा मंदिर?
यह सूर्य मंदिर गुजरात के पाटन जिले के मोढेरा में स्थित है। यह मंदिर पुष्पावती नदी के तट पर बना है। इस स्थान को पहले स्थानीय तौर पर ‘सीतानी चौरी’ और ‘रामकुंड’ के नाम से जाना जाता था। फिलहाल इस मंदिर में कोई पूजा नहीं होती है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इस मंदिर को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1026 में सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम ने करवाया था।
निकटतम रेलवे स्टेशन- मंदिर के निकटतम मेहसाणा जंक्शन है, जो मोढेरा सूर्य मंदिर से लगभग 28 किमी दूर है और पहुंचने में लगभग 40 मिनट लगते हैं।
नजदीकी एयरपोर्ट- अगर आप फ्लाइट से जा रहे हैं तो अहमदाबाद एयरपोर्ट का टिकट बुक कर सकते हैं। हवाई अड्डा मोढेरा सूर्य मंदिर लगभग 95 किमी दूर है। मंदिर तक पहुंचने में आपको लगभग 2 घंटे लगेंगे।
यहाँ सूर्य की किरणें कब पड़ती हैं?
इस मंदिर के गर्भगृह में सूर्य की किरणें केवल ग्रीष्म संक्रांति और सौर विषुव के दिन ही चमकती हैं। यहां मंदिर में एक कुंड है, जहां संक्रांति के मौके पर स्नान करना शुभ होता है। हर साल संक्रांति के अवसर पर यानी जब सूर्य अपनी राशि बदलता है, लोग सूर्य कुंड के जल में स्नान करने आते हैं। यह गुजरात में घूमने के लिए अच्छी जगहों में से एक है।
मंदिर की खासियत
मंदिर में कुल 52 स्तंभ हैं। ये 52 स्तंभ वर्ष के 52 सप्ताहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। मंदिर की दीवारों पर आपको देवी-देवताओं की अनोखी तस्वीरें मिलेंगी, जो बेहद खूबसूरत लगती हैं। मंदिर का हर स्तंभ एक अलग इतिहास को दर्शाता है, यहां तक कि इन दीवारों पर रामायण और महाभारत की घटनाओं को भी देखा और पढ़ा जा सकता है।