जयपुर, 18 मई (हि.स.)। मई 2008 में जयपुर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद चांदपोल हनुमान मंदिर के बाहर मिले जिंदा बम मामले में सुप्रीम कोर्ट के सशर्त जमानत आदेश के बाद नाबालिग आरोपित शनिवार को एक लाख रुपये की सुपुर्दगी और 50-50 हजार रुपये की दो जमानतों पर संप्रेक्षण किशोर गृह से रिहा हो गया। लेकिन नाबालिग आरोपित को रोजाना एटीएस के ऑफिस में हाजिरी देनी होगी और अपना पासपोर्ट भी सरेंडर करना होगा।
आरोपित के अधिवक्ता मिनहाजुल हक ने बताया कि वह जयपुर बम ब्लास्ट से जुड़े केसों में 14 साल से बंद था और सुप्रीम कोर्ट के उसकी जमानत मंजूर करने के बाद रिहा हुआ है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग आरोपित को पिछले दिनों ही सशर्त जमानत देते हुए किशोर बोर्ड को केस की ट्रायल तीन महीने में पूरी करने का निर्देश दिया था। इसके अलावा नाबालिग आरोपित पर कई तरह की शर्तें लगाई थीं जिनमें बिना अनुमति विदेश यात्रा नहीं करने, किसी भी गैर कानूनी संगठन में शामिल नहीं होने और किसी भी निषेध की गई गतिविधि में शामिल होने या संबंधित व्यक्तियों से संपर्क करने पर उसे पुनः गिरफ्तार करने किए जाने की शर्त भी शामिल थी। नाबालिग आरोपित ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि उसे जयपुर बम ब्लास्ट केस से जुड़े मुख्य केस में दोषमुक्त कर दिया है। वहीं वह बम ब्लास्ट की घटना के दौरान 16 साल व 3 महीने का ही था और वह जिंदा बम केस में साल 2019 से ही न्यायिक हिरासत में है। जबकि कानूनी तौर पर किसी भी नाबालिग को तीन साल से ज्यादा की सजा नहीं दे सकते।