अमेरिकी रिपोर्ट में भारत पर आरोप, विदेश मंत्रालय ने किया खारिज

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अमेरिका की धार्मिक स्वतंत्रता पर निगरानी रखने वाली एक सलाहकार संस्था ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारत की खुफिया एजेंसी रॉ पर विदेशों में धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) द्वारा जारी इस रिपोर्ट में भारत की आलोचना करते हुए रॉ पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति बिगड़ रही है।

भारत को “खास चिंता वाले देशों” की सूची में रखा गया

रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में धार्मिक स्वतंत्रता पर दुनिया भर में पड़े प्रभाव का आकलन किया गया। इसमें 16 देशों को “कंट्रीज ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न” (CPC) यानी गंभीर धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघन वाले देशों की सूची में शामिल किया गया है। भारत के अलावा चीन, पाकिस्तान, ईरान, रूस और नॉर्थ कोरिया को भी इस सूची में रखा गया है।

इसके अलावा, “स्पेशल वॉच लिस्ट” (SWL) में 12 देशों को शामिल किया गया है, जहां धार्मिक स्वतंत्रता पर गंभीर खतरा तो है, लेकिन CPC जितना नहीं। इनमें अल्जीरिया, मिस्र और इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं।

भारत पर लगे आरोप और सरकार की प्रतिक्रिया

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2024 के भारतीय आम चुनावों के दौरान धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव और हिंसा में बढ़ोतरी हुई। इसमें नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), धर्मांतरण विरोधी कानून (Anti-Conversion Law) और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) जैसे कानूनों का उल्लेख करते हुए इन्हें धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताया गया है।

भारत ने इस रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित करार देते हुए खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने रिपोर्ट को भारत को बदनाम करने की कोशिश बताया और कहा कि “यूएससीआईआरएफ को ही ‘एंटिटी ऑफ कंसर्न’ घोषित किया जाना चाहिए।” उन्होंने भारत को लोकतंत्र और सहिष्णुता का प्रतीक बताते हुए इस रिपोर्ट को भ्रामक बताया।

क्रिप्टो नीति और धार्मिक समूहों की फंडिंग पर असर

इस रिपोर्ट में डोनाल्ड ट्रंप की क्रिप्टो समिट का भी जिक्र किया गया है, जो 7 मार्च, 2025 को आयोजित हुई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रिप्टो नीतियों में बदलाव से धार्मिक संगठनों को मिलने वाली गुप्त फंडिंग पर असर पड़ेगा। कई धार्मिक समूह अब तक टैक्स चुकाए बिना क्रिप्टोकरेंसी में दान स्वीकार कर रहे थे, लेकिन नए कानूनों के तहत ब्लॉकचेन लेनदेन की निगरानी बढ़ सकती है, जिससे गुप्त दान लेना मुश्किल हो जाएगा।