Mining Tourism : खनन का इतिहास और वर्तमान झारखंड में पहली बार शुरू हुआ माइनिंग टूरिज्म

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News India Live, Digital Desk: Mining Tourism : झारखंड, जिसे 'रत्न गर्भा' यानी खनिजों की खान भी कहा जाता है, अपनी धरती के नीचे दबे अपार खनिज संपदा के लिए जाना जाता है। इस राज्य की पहचान हमेशा से खनन उद्योग से जुड़ी रही है। लेकिन अब झारखंड सरकार ने एक अनूठी पहल की है जो इस राज्य के खनिज समृद्ध इतिहास को पर्यटन से जोड़ने जा रही है। यह है 'खनन पर्यटन' यानी माइनिंग टूरिज्म, जिसे देश में पहली बार झारखंड सरकार ने लॉन्च किया है। यह पहल न केवल पर्यटन के नए द्वार खोलेगी बल्कि लोगों को खनन के वास्तविक और रोमांचक अनुभव से भी रूबरू कराएगी।

राज्य की पर्यटन कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग की सचिव ने इस महत्वपूर्ण पहल की जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झरिया और जामाडोबा कोलियरीज से इस 'माइनिंग टूरिज्म' का उद्घाटन किया है। यह भारत में अपनी तरह का पहला ऐसा प्रयास है, जो लोगों को खनन उद्योग की जटिल और चुनौतीपूर्ण दुनिया को करीब से देखने का अवसर देगा। अभी तक लोग खदानों को केवल बाहर से ही देखते थे या उनके बारे में सुनते थे, लेकिन अब वे खदानों के अंदर जाकर उसकी कार्यप्रणाली, चुनौतियों और उससे जुड़ी मानवीय कहानियों को जान सकेंगे।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना है। झारखंड पर्यटन हमेशा अपने पहाड़ों, झरनों, मंदिरों और वन्यजीव अभयारण्यों के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन खनन क्षेत्र को पर्यटन के मानचित्र पर लाना एक बिलकुल नया विचार है। माइनिंग टूरिज्म पर्यटकों को, खासकर छात्रों, शोधकर्ताओं और सामान्य आगंतुकों को एक अनूठा और शैक्षणिक अनुभव प्रदान करेगा। वे कोयला, लोहा, बॉक्साइट आदि खनिजों के खनन की प्रक्रियाओं को सीधे देख पाएंगे।

सचिव ने आगे बताया कि यह योजना केवल झरिया और जामाडोबा कोलियरीज तक सीमित नहीं है। पहले चरण की सफलता के बाद, भविष्य में राज्य के अन्य प्रमुख खनन स्थलों को भी इस पहल में शामिल किया जाएगा। इसका सीधा लाभ यह होगा कि ये खनन स्थल जो दशकों से सिर्फ एक औद्योगिक पहचान रखते थे, अब पर्यटन केंद्र के रूप में भी विकसित होंगे। इससे न केवल स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, बल्कि पर्यटन से संबंधित सहायक उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा, जैसे कि स्थानीय शिल्प, गाइड सेवाएँ और खान-पान।

खनन पर्यटन से जुड़ी चुनौतियों को भी समझना ज़रूरी है। खदानें सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र होते हैं, इसलिए पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपाय किए जाएंगे। विशेषज्ञ गाइडों की नियुक्ति की जाएगी जो पर्यटकों को खदानों के अंदरूनी हिस्सों और खनन प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी देंगे और सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित कराएंगे। यह पहल झारखंड की अर्थव्यवस्था और उसकी वैश्विक पहचान दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, जिससे खनिज संसाधनों से जुड़ी उसकी ख्याति को एक नया, सकारात्मक और आकर्षक आयाम मिलेगा।

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