चिकित्सा विभाग ने चिकित्सा संस्थानों में फायर सेफ्टी के लिए जारी किए दिशा-निर्देश

जयपुर, 16 अप्रैल (हि.स.)। गर्मी के मौसम के दौरान आगजनी की घटनाओं से बचाव के लिए चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सा संस्थानों को दिशा-निर्देश जारी किए। अग्नि सुरक्षा नियमों की पालना किए जाने और अविलम्ब फायर एनओसी प्राप्त करने के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण नई दिल्ली के सदस्य, विभागाध्यक्ष ने कहा।

इन निर्देशों के क्रियान्वयन के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने विगत दिनों समस्त राजकीय और निजी चिकित्सा संस्थानों में अग्नि सुरक्षा नियमों की प्रभावी पालना सुनिश्चित करने को कहा था। इसकी अनुपालना में निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने सभी संयुक्त निदेशक जोन एवं समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को अविलम्ब दिशा-निर्देशों की पालना किए जाने के लिए पत्र लिखा है।

पत्र में कहा है कि सभी चिकित्सा संस्थानों में फायर फाइटिंग उपकरणों की क्रियाशीलता का नियमित निरीक्षण किया जाए। वर्ष में दो बार इलेक्ट्रिक लोड ऑडिट और विद्युत उपभोग की समीक्षा की जाए। विद्युत उपभोग अधिक पाए जाने पर मानकों के अनुरूप इलेक्ट्रिक सिस्टम को अपग्रेड कराने की कार्यवाही की जाए। ऑक्सीजन टैंक, ऑक्सीजन पाइपलाइन आदि के संबंध में नो-स्मोकिंग पॉलिसी की सख्ती से पालना सुनिश्चित की जाए। हाई-ऑक्सीजन एरिया के आस-पास समुचित रूप से चेतावनी बोर्ड लगाए जाने के साथ ही इन स्थानों पर प्रशिक्षित स्टाफ नियोजित किया जाए।

पत्र में कहा गया है कि सभी चिकित्सा संस्थानों में स्मोक डिटेक्टर, फायर अलार्म आदि आवश्यक रूप से लगाए जाएं और हर माह इनकी क्रियाशीलता की जांच की जाए। अस्पताल निर्माण एवं साज-सज्जा में उपयोग किया जाने वाला सामान यथासंभव अग्निरोधी हो। ऐसे स्थान जहां रोगियों की उपस्थिति रहती है, वहां इसका विशेष ध्यान रखा जाए। चिकित्सा संस्थानों में नियत इलेक्ट्रिक लोड के अनुसार ही उपकरणों का उपयोग किया जाए। इलेक्ट्रिक लोड की मॉनिटरिंग के लिए पॉवर मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग किया जाए। मल्टीपल हाई पॉवर उपकरण एक ही सर्किट से नहीं जुडे़ हों।

पत्र के अनुसार चिकित्सा संस्थानों की आधारभूत संरचना में नेशनल बिल्डिंग कोड-2016 के फायर सेफ्टी मानकों की पालना सुनिश्चित की जाए। आगजनी की घटनाओं की रोकथाम के लिए आवश्यक उपाय करने के साथ ही आगजनी की स्थिति में बचाव के लिए समय-समय पर मॉक ड्रिल एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।