सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम-वीवीपीएटी पर सुनवाई: ईवीएम से डाले गए वोटों का वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) से 100 फीसदी सत्यापन करने की मांग वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग से कुछ और स्पष्टीकरण मांगा है और चुनाव आयोग के अधिकारी से दोपहर 2 बजे तक जवाब देने को कहा है. एडीआर की ओर से वकील प्रशांत भूषण और कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए.
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कुछ सवाल पूछे
इस मामले में जस्टिस संजीव खन्ना ने चुनाव आयोग से पूछा, ”चाहे माइक्रोकंट्रोलर कंट्रोल यूनिट में हो या वीवीपैट में, माइक्रोकंट्रोलर वन-टाइम प्रोग्रामेबल है, यानी इसे एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है या फिर दोबारा प्रोग्राम किया जा सकता है।” आपके पास कई प्रतीक लोडिंग इकाइयां हैं, क्या आप डेटा को 30 दिनों या 45 दिनों तक सुरक्षित रखते हैं और सभी ईवीएम की सभी तीन इकाइयों को एक साथ सील कर दिया जाता है या नियंत्रण इकाई और वीवीपैट को अलग-अलग रखा जाता है?’
आज दो बजे सुनवाई होगी
इसके अलावा कोर्ट ने आगे पूछा कि ‘क्या चिप का इस्तेमाल केवल एक बार किया जाता है, क्या वोटिंग के बाद ईवीएम और वीवीपैट दोनों को सील कर दिया जाता है? कोर्ट ने चुनाव आयोग के अधिकारी से जवाब मांगा है. आज दोपहर 2 बजे मामले की दोबारा सुनवाई होगी. बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी देने को कहा था.
ईवीएम से छेड़छाड़ संभव नहीं: चुनाव आयोग
इससे पहले 18 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई कर रहे जज ने चुनाव आयोग के अधिकारी से पूछा था, ‘आपके पास कितने वीवीपैट हैं? अधिकारी ने जवाब दिया कि हमारे पास 17 लाख हैं. जिस पर जज ने दूसरा सवाल पूछा कि ईवीएम और वीवीपेट के नंबर अलग-अलग क्यों हैं? जिस पर चुनाव अधिकारी ने जज को संतोषजनक जवाब देते हुए कहा कि मॉक पोल में उम्मीदवार अपनी इच्छानुसार किसी भी मशीन का परीक्षण कर सकते हैं. इसके अलावा अधिकारी ने यह भी कहा कि आंकड़ों के बारे में जानकारी हासिल करना या उनमें हेरफेर करना संभव नहीं है.