हिसार, 3 जुलाई (हि.स.)। वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनोज राठी ने प्रदेश की भाजपा सरकार से मांग की है कि वह प्रदेश की जनता, खासकर सरपंचों को दी गई प्रताड़ना के लिए उनसे माफी मांगे। उन्होंने कहा कि सरपंचों को 21 लाख तक के विकास कार्य करवाने की छूट देने का ढिंढोरा पीटने वाली भाजपा को पता होना चाहिए कि यह शर्त भी उसी के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने लगाई थी।
सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया जताते हुए मनोज राठी ने बुधवार को कहा कि जब तक पंचायतों के चुनाव नहीं हुए थे, तब तक सरकार ने अपने चहेतों के माध्यम से गांवों में विकास कार्य करवाने के लिए नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया। जब चुनाव हुए और गांवों की जनता ने अपने प्रतिनिधि चुन लिए तो सरकार ने ई टेंडरिंग की शर्त लगा दी। इससे सरपंचों व ग्रामीण जनता में रोष फैला, सरपंचों ने लंबा आंदोलन किया, उनकी बात सुनने की बजाय उन पर लाठीचार्ज किए गए, पानी की बौछारें छोड़ी गई और उनको भ्रष्टाचारी तक बताकर अपमानित किया गया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल की कारस्तानी का खामियाजा गांवों को भुगतना पड़ा और गांवों के विकास कार्य बुरी तरह से प्रभावित हुए।
मनोज राठी ने कहा कि अब मुख्यमंत्री नायब सैनी ने सरपंचों को 21 लाख तक के कार्य बिना ई टेंडरिंग करवाने की छूट दे दी है। इस पर सत्तापक्ष वाहवाही लूटने का प्रयास कर रहा है, जबकि ऐसी कोई बात नहीं है क्योंकि वास्तव में मुख्यमंत्री ने अपनी ही सरकार के फैसले को वापिस लिया है। उन्होंने कहा कि राज्य के हर सरपंच को भ्रष्टाचारी कहना गलत है, यदि कोई गलत करता है तो कार्रवाई का प्रावधान है। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने किसी की बात नहीं सुनी। अपनी ही धुन में रहे, जिसका खामियाजा भाजपा को लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ा। उन्होंने कहा कि वास्तव में सरकार ने सरपंचों को छूट नहीं दी है, बल्कि अपनी ही सरकार के फैसले को बदला है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह सरपंचों को दी गई प्रताड़ना, उन पर किए गए लाठीचार्ज, उन पर पानी की बौछारें छोड़ने व गांवों का विकास प्रभावित करने के लिए खुद को जिम्मेवार मानते हुए जनता व सरपंचों से माफी मांगे।