नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनके आर्थिक सुधारों और देश के विकास में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। खासतौर पर पीवी नरसिंह राव की सरकार के दौरान देश में हुए आर्थिक सुधारों का श्रेय उन्हें दिया जाता है। डॉ. सिंह की अर्थशास्त्र पर गहरी पकड़ थी, लेकिन उनके व्यक्तित्व का एक और अनोखा पहलू था—शायरी के प्रति उनका गहरा लगाव।
शायरी का शौक: मनमोहन सिंह का अनोखा अंदाज
डॉ. मनमोहन सिंह ने भले ही अपनी सादगी और कम बोलने की आदत के लिए पहचान बनाई, लेकिन जब वे बोलते थे, तो हर शब्द का गहरा मतलब होता था। संसद में उनके अभिभाषण और बहस के दौरान शायरी अक्सर सुनने को मिलती थी। उनकी शायरियों ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संवाद को एक नया आयाम दिया।
संसद में शायरी और सुषमा स्वराज से जुगलबंदी
मनमोहन सिंह और भाजपा की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज के बीच संसद में कई बार शायरी के जरिए संवाद हुआ।
- 15वीं लोकसभा:
- डॉ. सिंह प्रधानमंत्री थे और सुषमा स्वराज नेता विपक्ष।
- संसद में होने वाले गंभीर बहसों में भी शायरी का इस्तेमाल एक नया रंग भर देता था।
- दोनों नेताओं की यह जुगलबंदी सदन में मौजूद सभी सांसदों और दर्शकों को खूब भाती थी।
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— Swaraj Srivastava (@SwarajAjad) December 27, 2024
2011 का विकिलीक्स विवाद और शायरी
मार्च 2011 में संसद में विकिलीक्स के मुद्दे पर जोरदार बहस हुई।
- कांग्रेस पर 2008 के विश्वास मत के दौरान सांसदों को रिश्वत देने का आरोप लगा।
- सुषमा स्वराज ने शहाब जाफरी का शेर पढ़ते हुए डॉ. सिंह पर निशाना साधा:
“तू इधर-उधर की बात मत कर, ये बता कि काफिला क्यों लुटा।
हमें रहजनों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है।” - इसके जवाब में डॉ. मनमोहन सिंह ने अल्लामा इक़बाल की पंक्तियों के जरिए जवाब दिया:
“माना कि तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं।
तू मेरा शौक देख, मेरा इंतजार देख।”
2013 का राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा
2013 में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान भी डॉ. सिंह और सुषमा स्वराज के बीच शायरी का आदान-प्रदान हुआ।
- डॉ. सिंह ने मिर्जा गालिब का शेर पढ़ा:
“हमें उनसे वफा की उम्मीद है,
जो नहीं जानते कि वफा क्या है।” - सुषमा स्वराज ने बशीर बद्र का शेर सुनाया:
“कुछ तो मजबूरियां रही होंगी,
यूं ही कोई बेवफा नहीं होता।”इसके साथ उन्होंने दूसरा शेर भी पढ़ा:
“तुम्हें वफा याद नहीं, हमें जफा याद नहीं।
जिंदगी और मौत के दो ही तराने हैं,
एक तुम्हें याद नहीं, एक हमें याद नहीं।”
सुषमा स्वराज और डॉ. सिंह का अटूट सम्मान
2019 में सुषमा स्वराज का निधन हुआ।
- डॉ. मनमोहन सिंह ने उन्हें महान सांसद और प्रतिभाशाली केंद्रीय मंत्री बताया।
- संसद में उनकी जुगलबंदी और संवाद की यादें अमिट रहेंगी।
डॉ. मनमोहन सिंह का निधन: एक युग का अंत
डॉ. सिंह का निधन 91 वर्ष की उम्र में गुरुवार को हुआ।
- भारत ने एक ऐसा नेता खो दिया, जिसने अपनी नीतियों से आर्थिक सुधारों की नींव रखी।
- साथ ही, अपनी सादगी और शायरी के प्रति प्रेम से नेतृत्व की एक नई परिभाषा गढ़ी।