महिलाओं को सम्मान दिलाने में महर्षि दयानन्द का प्रमुख योगदान – कुलपति मिश्रा

उदयपुर, 08 मार्च (हि.स.)। युग प्रवर्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती का महिला सशक्तीकरण में महत्वपूर्ण योगदान है। यह बात महिला आर्य समाज, मुम्बई की पदाधिकारी जया पटेल ने शुक्रवार को यहां नवलखा महल, गुलाब बाग स्थित माता लीलावन्ती सभागार में ऋषि बोधोत्सव एवं अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बोल रही थीं।

मुम्बई से आईं महिला आर्य समाज की कार्यकर्ताओं तथा उदयपुर शहर के आर्यजनों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने बताया कि महर्षि दयानन्द के युग में महिलाओं की स्थिति काफी दयनीय थी। उन्हें शिक्षा का अधिकार नहीं था। महिलाओं से भेदभाव किया जाता था। उस समय महिलाओं को शिक्षा का अधिकार नहीं था, न ही महिलाएं किसी भी प्रकार के संस्कार आदि करवा सकती थी। यहां तक कि महिला के विधवा होने पर उसे पुनर्विवाह का अधिकारी नहीं था साथ ही सती प्रथा जैसी कुरीति भी थी। उस समय महर्षि दयानन्द सरस्वती ने पुरुषों की समान ही महिलाओं के लिए शिक्षा की व्यवस्था की। उन्होंने कन्या गुरुकुलों के माध्यम से महिला शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किए। वहीं विधवा विवाह का समर्थन किया और सती प्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ भी आन्दोलन चलाया। ऐसे में अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के इस अवसर पर महर्षि के योगदान को उद्धृत करना चाहिए।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर की कुलपति प्रो.सुनीता मिश्रा ने कहा कि उन्हें गर्व है कि वे महिला हैं और आज विश्वविद्यालय की कुलपति हैं। महिलाओं को उच्च पदों व सम्मान दिलाने में महषि दयानन्द सरस्वती का विशेष योगदान है जिनके प्रयासों से ही आज महिलाएं देश के सर्वोच्च तक आसीन हुई हैं।

इस अवसर पर प्रसिद्ध आर्य विदुषी सरला गुप्ता ने आर्य समाज की ओर से महिला उत्थान की दिशा में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी और अपने उद्बोधन में महिलाओं में अधिकाधिक शिक्षा का प्रसार करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमद् दयानन्द सत्याथ प्रकाश न्यास की वरिष्ठ न्यासी राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय, उदयपुर की पूर्व प्राचार्य श्रीमती शारदा गुप्ता ने की। इस अवसर पर मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रोफेसर डॉ. नीरज शर्मा ने भी विचार व्यक्त किए।

इससे पूर्व, श्रीमद् दयानन्द सत्यार्थ प्रकाश न्यास के अध्यक्ष अशोक आर्य ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि आर्य समाज को प्राप्त होने से पूर्व नवलखा महल जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था तथा यहां शराब का गोदाम था। आर्य समाज के पास आने के पश्चात् यहां विभिन्न प्रकल्प यथा जीवन्त रूप में दिखती संस्कार वीथिका, आयावर्त चित्रदीर्घा, सुरेश चन्द्र दीनदयाल आर्य मल्टीमीडिया सेन्टर, भव्य यज्ञशाला, माता लीलावन्ती वैदिक सभागार इत्यादि प्रकल्प तैयार किए गए हैं। यहां पुस्तकालय भी है जहां विद्यार्थी एवं शोथार्धी अध्ययन लाभार्जन करते हैं। नवलखा महल सांस्कृतिक केन्द्र के माध्यम से सामाजिक व शैक्षिक उन्नयन के कार्य भी किए जा रहे हैं।