Maharashtra Tragedy: स्मार्टफोन न खरीद पाने की मजबूरी में पिता-पुत्र ने की आत्महत्या, नांदेड़ में दिल दहला देने वाली घटना

Hangrope775

महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में एक गरीब किसान और उसके 16 वर्षीय बेटे ने आर्थिक तंगी के चलते अपनी जान दे दी। यह दर्दनाक घटना बिलोली तहसील के मिनाकी गांव में सामने आई, जहां पिता-पुत्र ने एक ही रस्सी से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

स्मार्टफोन की मांग से उपजी त्रासदी

मृतक किशोर, ओमकार, 10वीं कक्षा का छात्र था और मकर संक्रांति के मौके पर अपने छात्रावास से घर लौटा था। उसने अपनी पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन की मांग की थी।

  • पिता की असमर्थता:
    ओमकार के पिता, जो एक छोटे किसान थे, खेत और गाड़ी के लोन में डूबे हुए थे। उन्होंने स्मार्टफोन खरीदने में असमर्थता जताई।
  • आखिरी बातचीत:
    बुधवार शाम को ओमकार ने फिर से पिता से फोन की मांग की, लेकिन पिता के इनकार के बाद वह निराश होकर घर से निकल गया।

खेत पर मिली पिता-पुत्र की लाश

ओमकार के घर न लौटने पर परिवार ने उसे खोजने की कोशिश की।

  • गुरुवार सुबह, पिता को अपने बेटे का शव खेत में एक पेड़ से लटका हुआ मिला।
  • बेटे की हालत देखकर सदमे में आए पिता ने भी उसी रस्सी से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
  • परिवार ने बताया कि पिता अपने बेटे की मौत को बर्दाश्त नहीं कर सके और गहरे दुख में यह कदम उठाया।

पुलिस की कार्रवाई और बयान

घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस घटनास्थल पर पहुंची।

  • शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल अस्पताल भेजा गया।
  • पुलिस अधीक्षक अविनाश कुमार:
    “हमने लड़के की मां के बयान के आधार पर आकस्मिक मौत का मामला दर्ज किया है। उन परिस्थितियों की पुष्टि की जा रही है, जिन्होंने इस त्रासदी को जन्म दिया।”
  • सब-इंस्पेक्टर दिलीप मुंडे:
    “लड़के की मां ने बताया कि बेटा लगातार स्मार्टफोन की मांग कर रहा था। पिता की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वह यह मांग पूरी नहीं कर सके।”

आर्थिक तंगी ने छीनी जिंदगी

  • ओमकार तीन भाइयों में सबसे छोटा था।
  • किसान पिता पर खेती और गाड़ी के लिए लिया गया कर्ज पहले से ही भारी दबाव बना रहा था।
  • उनकी असमर्थता ने परिवार को इस दर्दनाक स्थिति में धकेल दिया।

समाज के लिए सवाल

यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज और आर्थिक तंत्र पर सवाल खड़े करती है:

  • आर्थिक तंगी और कर्ज का बोझ कैसे परिवारों को तोड़ रहा है?
  • क्या बच्चों पर बढ़ते भौतिक इच्छाओं का दबाव माता-पिता के लिए असहनीय हो रहा है?
  • इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?