उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जल्द ही महाकुंभ मेला का शुभारंभ होने वाला है। 48 दिनों तक चलने वाले इस धार्मिक आयोजन में लाखों श्रद्धालु और आध्यात्मिक साधक भाग लेने की उम्मीद है। इस बार मेले में असम के एक साधु, जिन्हें गंगापुरी महाराज या छोटू बाबा के नाम से जाना जाता है, लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
32 सालों से स्नान नहीं किया साधु ने
57 वर्षीय गंगापुरी महाराज, जो कि केवल 3 फीट 8 इंच लंबे हैं, ने पिछले 32 वर्षों से स्नान नहीं किया है। इस विषय पर एएनआई से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया:
- आध्यात्मिक कारण:
उनका कहना है कि महाकुंभ मेला आत्मा से आत्मा के जुड़ाव का अवसर है, और वह इसीलिए यहां मौजूद हैं। - स्नान न करने की वजह:
उन्होंने बताया कि उनकी एक खास इच्छा है, जो पिछले 32 वर्षों में पूरी नहीं हुई है। इस कारण उन्होंने स्नान करना छोड़ दिया है।
गंगापुरी महाराज ने यह भी स्पष्ट किया कि वह गंगा नदी में भी स्नान नहीं करेंगे।
स्वास्थ्य पर प्रभाव: रोजाना स्नान न करने के खतरे
रोजाना स्नान न करना न केवल व्यक्तिगत स्वच्छता को प्रभावित करता है, बल्कि यह कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन सकता है।
1. शरीर से बदबू आना
- कारण:
पसीने और गंदगी के कारण शरीर से बदबू आने लगती है। - प्रभाव:
- बैक्टीरिया पनपने लगते हैं।
- त्वचा पर खुजली और लाल निशान की समस्या हो सकती है।
2. त्वचा में इंफेक्शन का खतरा
- रोजाना स्नान के फायदे:
त्वचा से धूल, मिट्टी और प्रदूषण के कण निकल जाते हैं, जिससे इंफेक्शन का खतरा कम होता है। - स्नान न करने के नुकसान:
- बैक्टीरिया और गंदगी जमा होने से त्वचा संक्रमित हो सकती है।
- त्वचा पर दाने या फंगल इंफेक्शन हो सकता है।
3. त्वचा का हाइड्रेट न रहना
- गंदगी का असर:
- गंदगी और तेल छिद्रों में जमने लगती है।
- इससे मुहांसे की समस्या हो सकती है।
- नकारात्मक प्रभाव:
- स्नान न करने से त्वचा सूखी और बेजान हो सकती है।
- बुरे बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं, जिससे त्वचा को प्राकृतिक सुरक्षा नहीं मिलती।
कुंभ मेले का महत्व और गंगापुरी महाराज का संदेश
महाकुंभ मेला केवल स्नान या धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है; यह आत्मा, आस्था और आध्यात्मिक शांति का संगम है।
गंगापुरी महाराज का कहना है कि यह मेला आत्मा के साथ गहरा जुड़ाव बनाने का अवसर है। हालांकि उनका स्नान न करना व्यक्तिगत चुनाव है, लेकिन इसे स्वास्थ्य और स्वच्छता के दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता।