महाकुंभ 2025: स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन जॉब्स बनीं ‘कमला,’ सनातन धर्म की खोज में प्रयागराज पहुंचेंगी

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प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। दुनियाभर से श्रद्धालु इस भव्य आयोजन में भाग लेने के लिए आ रहे हैं। इस बार महाकुंभ का खास आकर्षण ऐपल के सह-संस्थापक स्वर्गीय स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन जॉब्स हैं, जो यहां एक संन्यासी के रूप में ‘कमला’ नाम से अपनी नई पहचान के साथ हिस्सा लेंगी।

लॉरेन से ‘कमला’ तक की यात्रा

महाकुंभ के दौरान लॉरेन जॉब्स ने निरंजनी पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि से दीक्षा ग्रहण की और उनका नामकरण किया गया।

  • लॉरेन को गोत्र और कुलनाम प्रदान किया गया।
  • स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा, “लॉरेन को सनातन धर्म में गहरी रुचि है। वह मुझे अपने पिता समान मानती हैं, और मैंने भी उन्हें अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया है।”
  • नामकरण के बाद लॉरेन को ‘कमला’ नाम दिया गया।

महाकुंभ में कमला की भूमिका

कमला (लॉरेन जॉब्स) महाकुंभ में पांच दिनों तक प्रवास करेंगी।

  • आध्यात्मिक अनुभव: वह संतों के साथ रहकर कथा और प्रवचन में शामिल होंगी।
  • अमृत स्नान: मकर संक्रांति और मौनी अमावस्या के शाही स्नान में भाग लेंगी।
  • कल्पवास: कमला महाकुंभ के दौरान कल्पवास करेंगी और सनातन धर्म की परंपराओं को आत्मसात करेंगी।

वाराणसी में नामकरण और गंगा आरती का अनुभव

प्रयागराज आने से पहले, शनिवार को लॉरेन का नामकरण वाराणसी में हुआ।

  • काशी विश्वनाथ दर्शन: नामकरण के बाद उन्होंने बाबा विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किए।
  • गंगा आरती: दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि द्वारा आयोजित गंगा आरती में भाग लिया।
  • गंगा में नौकायन: गंगा नदी में नौकायन कर उन्होंने आध्यात्मिक शांति का अनुभव किया।

सनातन धर्म के प्रति लॉरेन की रुचि

लॉरेन जॉब्स (अब कमला) ने सनातन धर्म को गहराई से समझने और आत्मसात करने के लिए यह यात्रा शुरू की है।

  • वह भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के महत्व को महसूस कर रही हैं।
  • कमला का यह कदम पश्चिमी देशों में भी भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रचार-प्रसार में सहायक हो सकता है।

प्रयागराज महाकुंभ: एक वैश्विक आयोजन

महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसमें करोड़ों लोग आध्यात्मिक शांति और मोक्ष की खोज में शामिल होते हैं।

  • वैश्विक प्रभाव: कमला जैसी अंतरराष्ट्रीय हस्तियों की उपस्थिति इस आयोजन को वैश्विक मंच पर और भी प्रतिष्ठित बनाती है।
  • आध्यात्मिक परंपरा: यह आयोजन भारत की समृद्ध आध्यात्मिक परंपराओं का प्रतीक है, जो हर जाति, धर्म और देश के लोगों को जोड़ता है।