प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ 2025 का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक पर्व है, जिसमें 40 करोड़ से अधिक लोगों के शामिल होने की संभावना है। देश-विदेश से श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं, और इसी महापर्व में शामिल होने के लिए एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी यहां आई हैं।
काशी से शुरू की अपनी धार्मिक यात्रा
महाकुंभ में शामिल होने से पहले लॉरेन पॉवेल ने शनिवार को वाराणसी पहुंचकर काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किए। वहां पूजा-अर्चना के साथ उन्होंने अपनी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत की। रविवार को वे संगम नगरी प्रयागराज पहुंचीं, जहां वे कल्पवास करेंगी।
लॉरेन पॉवेल श्रीनिरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि के शिविर में 10 दिनों तक रुकेंगी।
- इस दौरान वे योग, ध्यान, और आध्यात्मिक चर्चाओं में भाग लेंगी।
- महाकुंभ के माहौल में डूबने और सनातन धर्म को करीब से समझने के लिए उन्होंने इस यात्रा को चुना है।
कौन हैं लॉरेन पॉवेल?
लॉरेन पॉवेल जॉब्स एक प्रसिद्ध व्यवसायी और 11 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ सिलिकॉन वैली की सबसे धनी महिलाओं में से एक हैं।
- स्टीव जॉब्स के निधन (2011) के बाद, उन्हें स्टीवन पी. जॉब्स ट्रस्ट विरासत में मिला।
- वे न केवल एक व्यवसायी हैं, बल्कि सामाजिक और शैक्षिक कार्यों में भी सक्रिय हैं।
हिंदू नाम ‘कमला’ और गोत्र निर्धारण
यह लॉरेन पॉवेल की भारत की दूसरी यात्रा है। इस बार महाकुंभ में शामिल होने के दौरान:
- उन्हें आध्यात्मिक गुरु कैलाशानंद महाराज द्वारा हिंदू नाम ‘कमला’ दिया जाएगा।
- उनका गोत्र भी गुरु द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
गुरु कैलाशानंद महाराज ने कहा,
“लॉरेन पॉवेल पूरी तरह से आध्यात्मिक उद्देश्य से भारत आई हैं। यह उनका निजी कार्यक्रम है और वे तप, ध्यान, और योग में शामिल होंगी।”
स्टीव जॉब्स और भारतीय अध्यात्म से जुड़ाव
स्टीव जॉब्स का भारतीय अध्यात्म से गहरा नाता था।
- वे बाबा नीम करौली महाराज के बड़े भक्त थे और उन्हें अपना गुरु मानते थे।
- उनकी आध्यात्मिक खोज ने न केवल स्टीव जॉब्स के जीवन को गहराई दी, बल्कि उनके नवाचारों में भी इसे झलकते देखा गया।