प्रयागराज में महाकुंभ 2025 इस बार अनोखे अनुभवों और साधनाओं से भरपूर है। संगम की रेत पर साधु-संतों के बीच ऐसे कई बाबा आए हैं, जिन्होंने अपनी विचित्र साधनाओं और अनोखे अंदाज से सभी का ध्यान खींचा है। बांसुरी वाले बाबा से लेकर घोड़े वाले बाबा तक, इनकी मौजूदगी ने महाकुंभ के माहौल को और भी खास बना दिया है।
बांसुरी वाले बाबा
महाकुंभ 2025 में श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के बांसुरी वाले बाबा शोभायात्रा में खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
- बाबा जब बांसुरी बजाते हैं, तो श्रद्धालु उनकी धुनों में खो जाते हैं।
- उनकी बांसुरी की मधुर ध्वनि भक्ति और आनंद का अद्भुत संगम है, जो भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
चाय वाले बाबा
चाय वाले बाबा, जिनका असली नाम दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी है, महाकुंभ में चर्चा का विषय बने हुए हैं।
- बाबा पिछले 40 वर्षों से मौन व्रत धारण किए हुए हैं।
- वे ठोस भोजन नहीं करते, बल्कि दिन में 10 कप चाय पीकर जीवित रहते हैं।
- खास बात यह है कि बाबा IAS की तैयारी कर रहे छात्रों को मुफ्त कोचिंग देते हैं और व्हाट्सएप के माध्यम से उनका मार्गदर्शन करते हैं।
- उनकी जीवनशैली और शिक्षण के प्रति समर्पण श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
राधे पुरी बाबा
उज्जैन के राधे पुरी बाबा अपनी अनोखी साधना के लिए प्रसिद्ध हैं।
- बाबा ने 2011 से एक हाथ उठाकर रखने की तपस्या शुरू की थी, जो आज तक जारी है।
- यह हठ योग बाबा की आत्म-शक्ति और संसार के कल्याण के प्रति उनकी भक्ति का प्रतीक है।
- उनकी साधना देखकर श्रद्धालु हैरान और प्रेरित होते हैं।
घोड़े वाले बाबा
जयपुरी बाबा, जिन्हें लोग घोड़े वाले बाबा के नाम से जानते हैं, अपनी अनोखी यात्रा के कारण प्रसिद्ध हैं।
- बाबा चार घोड़ों के साथ महाकुंभ में पहुंचे हैं।
- वे घोड़े पर सवार होकर पूरे महाकुंभ क्षेत्र का भ्रमण कर रहे हैं, जो श्रद्धालुओं को बेहद आकर्षित कर रहा है।
- बाबा का यह अनूठा अंदाज श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
पर्यावरण बाबा
अरुण गिरि महाराज, जिन्हें लोग पर्यावरण बाबा कहते हैं, अपनी अनोखी सोच के लिए मशहूर हैं।
- बाबा अब तक 1 करोड़ से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं।
- महाकुंभ 2025 में वे 50,000 फलदार पौधे वितरित करने की योजना बना रहे हैं।
- सोने के कंगन और हीरे की घड़ी पहनने वाले यह बाबा पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं।
गीतानंद गिरी बाबा
गीतानंद गिरी बाबा की तपस्या भी महाकुंभ में चर्चा का विषय है।
- बाबा ने 12 साल तक प्रतिदिन सवा लाख रुद्राक्ष धारण करने का संकल्प लिया था।
- अब उनके शरीर पर 2 लाख रुद्राक्ष हैं, जिनका वजन 45 किलो से भी अधिक है।
- बाबा की साधना सनातन धर्म के प्रति उनके गहरे समर्पण को दर्शाती है।
फ्रांस के फेड्रिक ब्रूनो गिरी बाबा
फ्रांस के गणित प्रोफेसर फेड्रिक ब्रूनो अब ब्रह्मचारी दीक्षा लेकर सनातनी संत बन गए हैं।
- उनका कहना है कि गणित में जीवन भर का अनुभव लेने के बाद अब वे आत्मिक शांति की तलाश में हैं।
- महाकुंभ में दीक्षा लेकर उन्होंने भारतीय अध्यात्म को अपनाने की अपनी यात्रा शुरू की है।
महाकुंभ 2025 की अद्भुत छटा
इन अनोखे बाबाओं की साधनाएं और जीवनशैली महाकुंभ को एक अद्भुत रंग दे रही हैं।
- इनकी उपस्थिति ने न केवल श्रद्धालुओं को आकर्षित किया है, बल्कि उन्हें प्रेरणा और आध्यात्मिक शांति भी प्रदान की है।
- महाकुंभ का यह अनोखा संगम भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा की गहराई को दर्शाता है।