महाकुंभ 2025: ‘आईआईटी बाबा’ का प्रेरणादायक सफर, इंजीनियर से साधु तक की कहानी

Iit Baba

प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का भव्य आगाज हो चुका है। इस अद्वितीय आयोजन में देश और दुनिया से लाखों श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। अब तक 1 करोड़ से अधिक लोग संगम में स्नान कर चुके हैं। इस धार्मिक आयोजन में कई साधु-संत और बाबा पहुंचे हैं, जिनमें से एक हैं मसानी गोरख बाबा, जिन्हें लोग ‘आईआईटी बाबा’ के नाम से जानते हैं।

हरियाणा के अभय सिंह से ‘आईआईटी बाबा’ तक का सफर

हरियाणा के रहने वाले मसानी गोरख बाबा का असली नाम अभय सिंह है। उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से एयर स्पेस और एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। विज्ञान और तकनीक की इस ऊंचाई पर पहुंचने के बाद भी उन्होंने साधु बनने का निर्णय लिया और अपना जीवन भगवान शिव को समर्पित कर दिया।

बाबा ने न्यूज 18 से बातचीत में अपनी कहानी साझा करते हुए कहा,

“ज्ञान के पीछे चलते जाओ, लेकिन आखिरकार इसी अवस्था में आना है। यही सबसे उत्तम अवस्था है।”

इंजीनियरिंग के बाद फोटोग्राफी और फिर साधु बनने का सफर

बाबा ने अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए बताया:

  • शिक्षा और करियर:
    • आईआईटी बॉम्बे में चार साल की पढ़ाई के बाद उन्होंने एक साल तक फिजिक्स की कोचिंग पढ़ाई।
    • इसके बाद उन्होंने आर्ट्स और फोटोग्राफी में रुचि ली और मास्टर डिग्री इन डिजाइन पूरी की।
  • फोटोग्राफी में रुचि:
    • बाबा ने ट्रैवल फोटोग्राफी में अपने करियर की शुरुआत की।
    • उन्होंने सोचा कि यह ड्रीम लाइफ होगी—घूमना, मौज करना और पैसे कमाना।
    • लेकिन फोटोग्राफी में भी उन्हें शांति नहीं मिली।

आध्यात्मिकता की ओर रुझान

अपने जीवन में शांति की तलाश करते हुए बाबा ने अध्यात्म का रास्ता चुना।

  • उन्हें महसूस हुआ कि बाहरी उपलब्धियां और सुख स्थायी नहीं हैं।
  • साधु बनकर उन्होंने अपने जीवन को शिव भक्ति और साधना के लिए समर्पित कर दिया।

त्रिवेणी संगम पर आईआईटी बाबा का प्रवास

महाकुंभ 2025 में, आईआईटी बाबा त्रिवेणी संगम पर हैं और इस पवित्र आयोजन का हिस्सा बन रहे हैं।

  • बाबा का कहना है कि यह अवस्था जीवन का सार है।
  • महाकुंभ में शामिल होने से पहले वह वाराणसी और अन्य धार्मिक स्थलों पर भी रहे हैं।

महाकुंभ: एकता और अध्यात्म का संगम

महाकुंभ 2025 में ‘आईआईटी बाबा’ जैसी प्रेरणादायक हस्तियों की उपस्थिति इस आयोजन की महत्ता को और बढ़ा देती है। उनका जीवन यह दर्शाता है कि भौतिक उपलब्धियों के बाद भी मानव मन को शांति और संतोष की तलाश रहती है, जो केवल आध्यात्मिकता में मिल सकती है।