स्वयं से प्रेम करना सुखी जीवन का आधार है। आत्म-प्रेम का अर्थ है आत्म-सुधार, अपने अच्छे गुणों की खोज करना, आत्म-सम्मान, सकारात्मक सोच और आत्म-प्रेरणा, और आपके साथ जो कुछ भी होता है, अच्छा या बुरा, उसकी जिम्मेदारी लेना। आत्म-प्रेम एक सफलता कारक है जिसे हम अक्सर नज़रअंदाज कर देते हैं।
ऑस्कर वाइल्ड ने कहा था कि अपने दिल में प्यार रखो क्योंकि इसके बिना जीवन सूरज की रोशनी के बिना मुरझाए पौधे की तरह है। आप दूसरों के साथ प्यार और सम्मान तभी बाँट पाएंगे जब यह सही मात्रा में आपके पास होगा। खुद से प्यार करना बहुत आसान और स्वाभाविक है। जब आप खुद से पूरी तरह प्यार करना सीख जाते हैं, तो आप फलने-फूलने के लिए अनुकूल माहौल बनाते हैं।
आत्म-प्रेम के अभाव में हम अपने लक्ष्य, सपने और खुश एवं स्वस्थ रहने का दौर भूल जाते हैं। चार्ल्स बुकोव्स्की ने कहा, ‘अगर आपमें प्यार करने की क्षमता है, तो पहले खुद से प्यार करें।’ कुछ लोग स्वयं से प्रेम करना अनुचित समझते हैं। लोगों के दिलों में यह धारणा घर कर गई है कि जो व्यक्ति खुद से प्यार करता है वह स्वार्थी होता है और वह दूसरों से प्यार नहीं कर सकता। वास्तव में, यह एक मिथक प्रतीत होता है। खुद से प्यार करना गलत नहीं हो सकता क्योंकि जो इंसान खुद से प्यार नहीं करता वह ऐसी भावना किसी और तक कैसे पहुंचा सकता है। जो व्यक्ति खुद से और भगवान से प्यार करता है वही दूसरों से सच्चा प्यार कर सकता है।
जो लोग स्वयं से संतुष्ट नहीं हैं, वे किसी और को कैसे संतुष्ट रख सकते हैं। ब्यू टापलिन ने कहा है, ‘आत्म-प्रेम एक महासागर है और आपका दिल एक बर्तन है। इसे पूरी तरह भरें और इसका कुछ हिस्सा उन लोगों के जीवन में फैल जाएगा जिन्हें आप अपने दिल के करीब रखते हैं, लेकिन आपको इसे पहले करना होगा।’ इसलिए अपने प्रति प्रेम की भावना विकसित करने की दिशा में कदम उठाएं।