शादी: जीवन का अनमोल बंधन
शादी केवल दो लोगों के बीच एक रिश्ता नहीं होता, बल्कि यह दो परिवारों को भी जोड़ता है। यह एक ऐसा पवित्र बंधन है, जिसमें प्रेम, विश्वास और सम्मान की नींव होती है। सदियों से, भारत में विवाह का निर्णय परिवार के बुजुर्गों द्वारा लिया जाता रहा है, और पारंपरिक रूप से अरेंज मैरिज को प्राथमिकता दी जाती थी। हालांकि, बदलते समय के साथ लव मैरिज को भी समाज में मान्यता मिलने लगी है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा गांव भी है, जहां लव मैरिज सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि एक परंपरा बन चुकी है? इस गांव में हर पीढ़ी ने प्रेम विवाह को ही अपनाया है, और यह परंपरा पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती आ रही है।
भाटपोर: जहां लव मैरिज परंपरा बन गई
गुजरात के सूरत जिले में स्थित भाटपोर गांव ने खुद को एक अनोखी पहचान दी है। यह गांव लव मैरिज की अपनी अनूठी परंपरा के लिए जाना जाता है। पिछले तीन पीढ़ियों से, यहां के लोग प्रेम विवाह को ही प्राथमिकता देते आए हैं। यहां के दादा-दादी तक लव मैरिज कर चुके हैं, और इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
सबसे रोचक तथ्य यह है कि इस गांव के 99 फीसदी लोग अपने ही गांव में विवाह करते हैं। यहां के लोग अपने जीवन साथी को खुद चुनते हैं, और परिवार व समाज इसे पूरी तरह से स्वीकार करता है। लव मैरिज को लेकर किसी भी तरह की रोक-टोक नहीं है, बल्कि इसे खुले दिल से अपनाया जाता है।
बुजुर्गों का पूरा समर्थन
अक्सर यह देखा जाता है कि भारतीय समाज में बुजुर्गों द्वारा लव मैरिज का विरोध किया जाता है। लेकिन भाटपोर गांव की कहानी बिल्कुल अलग है। इस गांव के 90 फीसदी से अधिक विवाह प्रेम विवाह होते हैं, और यहां के बुजुर्ग इस परंपरा को पूरे दिल से समर्थन देते हैं।
यहां किसी भी युवा को अपने प्रेम विवाह के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता। लड़का और लड़की यदि एक-दूसरे को पसंद करते हैं, तो वे बिना किसी डर के अपने परिवार की सहमति से शादी कर सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि यहां पिछले तीन दशकों से लोग शादी के लिए गांव के बाहर नहीं जाते। पीढ़ी दर पीढ़ी, यह परंपरा चली आ रही है और आज भी कायम है।
गांव के बुजुर्गों को गर्व है अपनी परंपरा पर
भाटपोर गांव के सरपंच देवीदास पटेल के अनुसार, यह गांव 1968 से एक स्वतंत्र ग्राम पंचायत है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि हमारे गांव की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां 99 फीसदी शादियां गांव के भीतर ही होती हैं। यह परंपरा दो से तीन पीढ़ियों से चली आ रही है, और हम इसे बनाए रखना चाहते हैं।
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि लव मैरिज की यह परंपरा हमारे गांव की पहचान बन चुकी है। उन्हें इस परंपरा पर गर्व है, और वे इसे अगली पीढ़ी तक जारी रखना चाहते हैं। केवल 1-2 फीसदी लोग ही ऐसे हैं, जिन्होंने गांव से बाहर शादी की है।
भाटपोर: एक मिसाल
भाटपोर गांव भारतीय समाज के लिए एक अनूठी मिसाल है, जहां शादी को बंधन नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र और स्वाभाविक निर्णय माना जाता है। यहां लव मैरिज को न सिर्फ स्वीकार किया जाता है, बल्कि इसे एक परंपरा के रूप में संजोया भी जाता है।
भाटपोर इस बात का प्रमाण है कि जब समाज लव मैरिज को पूरी स्वीकृति देता है, तो यह न केवल विवाह को आसान बनाता है, बल्कि परिवारों के बीच आपसी प्रेम और सम्मान को भी बढ़ावा देता है। ऐसे उदाहरण यह साबित करते हैं कि प्यार से बड़ा कोई रिश्ता नहीं, और जब पूरा समाज इसे खुले दिल से स्वीकार करता है, तो यह एक खूबसूरत परंपरा का रूप ले सकता है।