Lord Vishnu : जब सोते-सोते करवट बदलते हैं भगवान विष्णु, जानें क्यों खास है ये करवट बदलने वाली एकादशी
News India Live, Digital Desk: हिन्दू धर्म में एकादशी का व्रत सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना जाता है. हर महीने दो एकादशी आती हैं और सबका अपना-अपना महत्व है. लेकिन भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी कुछ ख़ास है. इसे 'परिवर्तिनी एकादशी' के नाम से जाना जाता है. इसे जलझूलनी एकादशी या डोल ग्यारस भी कहते हैं. जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है, इस दिन कुछ 'परिवर्तन' होता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु, जो चातुर्मास के दौरान पाताल लोक में राजा बलि के यहां योग निद्रा में रहते हैं, अपनी करवट बदलते हैं.
क्या है इस एकादशी की कहानी?
इस एकादशी की कथा त्रेता युग में राजा बलि से जुड़ी हुई है. राजा बलि भगवान विष्णु के परम भक्त थे, लेकिन उन्हें अपनी दानवीरता का बहुत अहंकार हो गया था. उनके अभिमान को तोड़ने के लिए भगवान विष्णु ने वामन यानी एक बौने ब्राह्मण का अवतार लिया.
वामन अवतार में भगवान राजा बलि के यज्ञ में पहुंचे और उनसे दान में तीन पग (कदम) भूमि मांगी. राजा बलि ने अहंकार में आकर कहा, "मांग लो, जहाँ तुम्हारी इच्छा हो." भगवान वामन ने अपना विशाल रूप धारण किया और एक पग में पूरी धरती और दूसरे पग में पूरा आकाश नाप लिया.
जब तीसरा पग रखने की जगह नहीं बची, तो राजा बलि ने अपना वचन निभाने के लिए भगवान के सामने अपना सिर झुका दिया और कहा, "प्रभु, तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख दीजिए." राजा बलि की इस भक्ति और वचनबद्धता को देखकर भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया और वरदान दिया कि वे स्वयं चातुर्मास के दौरान उनके साथ पाताल लोक में निवास करेंगे.
माना जाता है कि देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु राजा बलि के यहां विश्राम करने चले जाते हैं और परिवर्तिनी एकादशी के दिन सोते हुए अपनी करवट बदलते हैं. भगवान के करवट बदलने से भक्तों के भाग्य भी करवट बदलते हैं, इसीलिए इस एकादशी का महत्व बहुत ज़्यादा है.
क्यों है इसका पुण्य हजारों यज्ञों के बराबर?
इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने का विशेष विधान है. ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा और भक्ति से इस एकादशी का व्रत रखता है और इसकी कथा सुनता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. उसे वाजपेय यज्ञ के समान फल मिलता है और जीवन के अंत में वह बैकुंठ धाम को प्राप्त करता है. यह एकादशी सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाने वाली मानी जाती है.
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