श्योपुर, 09 दिसम्बर (हि.स.)। शहर के श्रीरामतलाई हनुमान मंदिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन सोमवार को कथावाचक पं. चैतन्य किशोर कटारे ने राजा परीक्षित जन्म, शुकदेव भगवान का आगमन, कुंती स्तुति की कथा सुनाई। कथा का आयोजन यजमान सुरेशबाबू गर्ग द्वारा कराया जा रहा है।
कथा वाचक पं. चैतन्य किशोर कटारे ने कहा कि, कलयुग के प्रभाव से राजा परीक्षित ने ऋषि श्रृंगी के गले में मरा हुआ सर्प डाल दिया था और ऋषि ने उन्हें श्राप दिया कि ठीक सातवें दिन सर्प के काटने से उनकी मृत्यु हो जाएगी। उसी श्राप के निवारण के लिए वेद व्यास द्वारा रचित भागवत कथा शुकदेव द्वारा सुनाई गई। जिसमें उनका उत्थान हो गया। राजा परीक्षित ने सात दिन भागवत सुनकर किस तरह अपना उद्धार कर लिया। उसी तरह प्रत्येक व्यक्ति को भागवत का महत्व समझना चाहिए। भागवत अमृत रूपी कलश है। जिसका रसपान करके आदमी अपने जीवन को कृतार्थ कर लेता है। इसलिए जहां भी भागवत होती है, सुनना चाहिए। कथा में सुनाए गए भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे। दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक चलने वाली कथा में बड़ी संख्या में महिला-पुरूष कथा श्रवण करने पहुंचे।