हार्मोन थेरेपी एक लिंग-पुष्टि चिकित्सा उपचार है जो ट्रांसजेंडर लोगों के शरीर को उनके वास्तविक लिंग के अनुकूल बनाने में मदद करता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों में दीर्घकालिक सेक्स हार्मोन थेरेपी शरीर की संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकती है और ट्रांसजेंडर पुरुषों को हृदय रोग का खतरा हो सकता है।
जर्नल ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित शोध से पता चला है कि हार्मोन थेरेपी के लंबे समय तक इस्तेमाल से समय के साथ वसा की मात्रा, मांसपेशियों और ताकत में बड़े बदलाव आते हैं। यह कई बार महिला से लेकर पुरुष तक के लिए खतरनाक भी होता है।
इस अध्ययन का उद्देश्य
स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए इस अध्ययन में 17 ट्रांसजेंडर पुरुष और 16 ट्रांसजेंडर महिलाएं शामिल थीं। इन व्यक्तियों को टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन जैसी हार्मोनल दवाएँ दी गईं। शोधकर्ताओं ने चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) का उपयोग करके शरीर की संरचना, रक्त परीक्षण, रक्तचाप और संवहनी कठोरता की जाँच की।
हार्मोन थेरेपी का प्रभाव
शोधकर्ताओं ने पाया कि टेस्टोस्टेरोन उपचार प्राप्त करने वाले ट्रांसजेंडर पुरुषों में मांसपेशियों की मात्रा छह वर्षों में औसतन 21 प्रतिशत बढ़ी। इसके साथ ही, उनके पेट की चर्बी में 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके अलावा, उनके लीवर में अतिरिक्त चर्बी भी जमा हो गई और ‘खराब’ एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ गया, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। इस शोध से यह स्पष्ट होता है कि हार्मोन थेरेपी के दीर्घकालिक प्रभाव ट्रांसजेंडर पुरुषों में हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
ट्रांसजेंडर महिलाओं पर प्रभाव
एस्ट्रोजन थेरेपी लेने वाली ट्रांसजेंडर महिलाओं के शरीर में बहुत ज़्यादा बदलाव नहीं देखे गए। शोध में पाया गया कि एस्ट्रोजन उपचार के पाँच साल बाद इन महिलाओं की मांसपेशियों की मात्रा में औसतन 7 प्रतिशत की कमी आई, जबकि मांसपेशियों की ताकत में कोई बदलाव नहीं आया। हालाँकि, इन महिलाओं की कुल वसा की मात्रा में वृद्धि हुई, लेकिन पेट की चर्बी कम हो गई।
विशेषज्ञ की राय
अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता टॉमी लुंडबर्ग ने कहा, “हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने के लिए ट्रांसजेंडर व्यक्तियों में हार्मोन थेरेपी के दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों की निगरानी जारी रखना बेहद महत्वपूर्ण है।”