महाराष्ट्र में सूखे के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त, शरद पवार ने सीएम को लिखा पत्र

मुंबई, 03 जून (हि.स.)। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा एसपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने सोमवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को एक पत्र लिखकर सूबे में बढ़ते सूखे को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि राज्य में सूखे की वजह से पिछले दस दिनों में लोगों की हालत पहले से भी बदतर हो गई है। अगर सरकार ने जल्द उपाय नहीं किये तो संघर्ष करना पड़ेगा।

शरद पवार ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है कि सूखे के कारण राज्य में जनजीवन सचमुच अस्त-व्यस्त हो गया है। पानी की कमी से किसान और आम लोगों को परेशानी हो रही है। पशुओं के लिए पानी और चारे की कमी हो गयी है। राज्य सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस भूमिका नहीं निभाई गयी है। यदि राज्य में सूखे की यही स्थिति बनी रही और राज्य सरकार ने तत्काल कदम नहीं उठाए तो निश्चित रूप से महाराष्ट्र की जनता के हित के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।

शरद पवार ने आगे कहा कि पिछले महीने 24 मई को मैंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और महाराष्ट्र राज्य में गंभीर सूखे की स्थिति पर राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित किया था। उक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में मैंने राज्य सरकार के साथ सहयोग करने और सूखे की स्थिति से मिलकर निपटने का रुख अपनाया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने छत्रपति संभाजीनगर में सूखे की स्थिति की भी समीक्षा के लिए बैठक आयोजित की थी। इस महत्वपूर्ण बैठक में संबंधित प्रतिनिधि और मंत्री अनुपस्थित रहे, जो राज्य के हित को देखते हुए उचित नहीं है।

शरद पवार ने कहा कि पिछले दस दिनों में सूखे की स्थिति और गंभीर हो गई है। राज्य में उजनी, जायकवाडी जैसे महत्वपूर्ण जलाशय खाली हो गए हैं। पूरा मराठवाड़ा सूखे से जूझ रहा है। इसका असर निकटवर्ती उत्तरी महाराष्ट्र, विदर्भ विभाग पर भी पड़ रहा है। धुले, नंदुरबार, नासिक, जलगांव, सोलापुर, अहमदनगर, यवतमाल, अकोला, बुलढाणा जिलों में पानी की भारी कमी हो गई है। शहरी व ग्रामीण इलाकों में लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। पानी की कमी सतारा जिले के पुरंदर, दौंड, बारामती, इंदापुर, मान-खटाव, कोरेगांव, कोरेगांव और सांगली जिले के तालुकाओं के साथ-साथ मराठवाड़ा और सांगली जिले के जाट, अटपाडी में अधिक चिंताजनक है।

शरद पवार ने कहा कि पिछले साल राज्य में सिर्फ ग्यारह सौ टैंकर थे, लेकिन आज वह संख्या 11 हजार से ऊपर हो गई है और टैंकरों के लिए पानी भरने के स्रोत ढूंढने पड़ रहे हैं। पशुओं के लिए चारा-पानी जुटाना मुश्किल हो गया है और राज्य का पशुधन खतरे में है। पानी की कमी के कारण बागों की स्थिति खराब हो गई है और राज्य सरकार ने अभी तक बागों को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया है। सूखा राहत योजनाएं नीचे तक नहीं पहुंची हैं। राज्य सरकार ने सूखे की स्थिति से प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए कोई नया कदम नहीं उठाया है। सूखे की इस भीषण स्थिति में लोगों की दुर्दशा देखने के बाद चुप रहना मुश्किल हो गया है।