कानूनी प्रश्न: बाल सहायता पर पारिवारिक न्यायालय के निर्णय को कहां चुनौती दी जा सकती है?
भरण-पोषण, तलाक या अन्य पारिवारिक विवादों के मामलों में, यदि कोई पक्ष पारिवारिक न्यायालय के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, तो उसे अपील करने का अधिकार है। यह अधिकार पारिवारिक न्यायालय अधिनियम, 1984 की धारा 19 के अंतर्गत दिया गया है।
अपील कहाँ करें?: यदि पारिवारिक न्यायालय जिस ज़िले में स्थित है, वहाँ दिया गया निर्णय उचित न लगे, तो राज्य के उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है। उदाहरण के लिए -अहमदाबाद, राजकोट, सूरत या वडोदरा के पारिवारिक न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध अपील गुजरात उच्च न्यायालय में की जाती है।

अपील की समय-सीमा: निर्णय या आदेश प्राप्त होने की तिथि से 30 दिनों के भीतर अपील दायर की जानी चाहिए। यदि उचित कारण बताए जाएँ तो उच्च न्यायालय विलंब को क्षमा कर सकता है।

आवश्यक दस्तावेज: अपील दायर करते समय आमतौर पर निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है: प्रमाणित प्रति - पारिवारिक न्यायालय के निर्णय या आदेश की एक प्रति, अपील का ज्ञापन - जिसमें अपील के मुद्दे बताए गए हों, चुनौती के आधार - निर्णय गलत क्यों है, इसके कारण, प्रासंगिक साक्ष्य और दस्तावेज, साथ ही एक वकील से प्राप्त पावर ऑफ अटॉर्नी।

सीआरपीसी की धारा 125 के तहत मामले में क्या करें?: अगर दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ते का मामला चल रहा है, तो उसके फैसले के खिलाफ सत्र न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर की जा सकती है। अगर वहां से भी संतुष्टि नहीं मिलती है, तो उच्च न्यायालय में अपील दायर की जा सकती है।

पारिवारिक न्यायालय का निर्णय अंतिम नहीं होता। यदि आपको लगता है कि निर्णय में कोई त्रुटि है या आपके हितों को ठेस पहुँची है, तो कानून के तहत आपको उच्च न्यायालय में अपील करने का अधिकार है। दस्तावेज़ों की उचित तैयारी और समय-सीमा के भीतर, किसी अनुभवी वकील की मदद लेना अनिवार्य है। ताकि न्याय के लिए आपकी लड़ाई और मज़बूत हो।
--Advertisement--