आयुर्वेद के अनुसार, अग्नि शरीर में पाचन और चयापचय को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कारक है। अग्नि आयुर्वेद के पांच तत्वों में से एक है, जो शरीर की ऊर्जा, जीवन शक्ति, प्रतिरक्षा और चमक को नियंत्रित करता है। अच्छे पाचन और स्वास्थ्य के लिए हमारे शरीर में अग्नि का संतुलन बहुत जरूरी है, क्योंकि अगर शरीर में अग्नि कम हो जाए तो व्यक्ति की मृत्यु का खतरा भी बढ़ सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, अग्नि हमारे शरीर में भोजन को पचाती और अवशोषित करती है, जिससे हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है। शरीर में अग्नि को बढ़ाने के लिए आप अपने भोजन में मसाले भी शामिल कर सकते हैं। आज इस लेख में हम आपको शरीर में कमजोर अग्नि के कारण क्या हैं और आयुर्वेद के अनुसार अग्नि को मजबूत कैसे करें (How Do You Increasing Agni in ayurveda) के बारे में जानकारी देंगे। तो आइए आयुर्वेदिक डॉक्टर वरलक्ष्मी यनमंद्रा से जानें कि शरीर में अग्नि तत्व के बिगड़ने के क्या कारण हैं और शरीर में अग्नि को कैसे संतुलित किया जाए?
- आयुर्वेद में अग्नि दोष के क्या कारण हैं?
- ख़राब जीवनशैली
- ठंडा, गीला और भारी भोजन का सेवन
- खान-पान की गलत आदतें
- बहुत अधिक या बहुत कम खाना
- तनावग्रस्त, चिंतित और उदास महसूस होने पर भोजन करना
शरीर में अग्नि तत्व को कैसे मजबूत करें?
1). भूख लगने पर ही खाएं। ऐसा करने से आपकी अग्नि भोजन को अच्छे से पचा सकेगी और जब आपको भूख लगे तो इसे नजरअंदाज न करें बल्कि खाना खा लें।
2). अपने पेट को खुश और संतुष्ट रखने के लिए कच्चे या ठंडे भोजन के बजाय गर्म, पका हुआ भोजन चुनें।
- अपने हाथों से खाएं और धीरे-धीरे, अच्छी तरह चबाएं।
4). पूरे दिन गर्म पानी पीना आपके पाचन को बढ़ावा देने का सबसे अच्छा विकल्प है।
5). सुबह खाली पेट व्यायाम करें। ऐसा करना अपनी आग को बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है।