अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Fed) को लेकर एक बड़ा मामला कोर्ट तक पहुंच गया है। अमेरिकी बैंकों और व्यापारिक संगठनों के एक समूह ने स्ट्रेस टेस्टिंग फ्रेमवर्क में पारदर्शिता और अन्य कानूनी मुद्दों को लेकर फेड के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। यह मामला अमेरिकन बैंकर्स एसोसिएशन और यूएस चेंबर ऑफ कॉमर्स जैसे संगठनों द्वारा उठाया गया, जो लंबे समय से अटके कानूनी उल्लंघनों का समाधान चाहते हैं।
US Fed के खिलाफ मुकदमा क्यों दायर हुआ?
अमेरिकी फेड ने हाल ही में सालाना स्ट्रेस टेस्टिंग फ्रेमवर्क में बदलाव की योजना का ऐलान किया। इस कदम का उद्देश्य प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और स्थिर बनाना था।
बैंकों की आपत्ति:
- बैंक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (BPI), जो इस मामले में वादी समूहों में से एक है, ने ओहियो के फेडरल कोर्ट में याचिका दायर की।
- BPI के प्रेसिडेंट ग्रेग बायर ने कहा, “हम पारदर्शिता और जवाबदेही के फेड के प्रयासों की सराहना करते हैं, लेकिन यह मुकदमा इंडस्ट्री के कानूनी अधिकारों की रक्षा के लिए जरूरी है।”
US Fed की योजना:
अमेरिकी फेड की योजना में शामिल हैं:
- बैंकों के घाटे और रेवेन्यू के अनुमानों के मॉडल का खुलासा।
- सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित करना।
- स्ट्रेस टेस्ट के दो साल के औसत परिणामों के आधार पर पूंजी आवश्यकताओं को निर्धारित करना।
- प्रक्रिया को 2025 तक लागू करना।
क्या है स्ट्रेस टेस्ट?
स्ट्रेस टेस्ट एक वार्षिक प्रक्रिया है जो यह आकलन करती है कि अमेरिका के सबसे बड़े बैंक—जैसे जेपी मॉर्गन चेज, गोल्डमैन सैक्स, और बैंक ऑफ अमेरिका—विभिन्न आर्थिक चुनौतियों का सामना कैसे करेंगे।
कैसे काम करता है यह टेस्ट?
- सिमुलेशन:
- बैंक को कॉमर्शियल रियल एस्टेट की कीमतों में 40% की गिरावट और घरों की कीमतों में 36% की गिरावट जैसी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना होता है।
- आवश्यक कैपिटल की गणना:
- फेड इन परीक्षाओं के नतीजों का उपयोग यह तय करने के लिए करता है कि बैंकों को कितना पूंजी रिजर्व रखना होगा।
- महत्व:
- 2008 के वित्तीय संकट के बाद बैंकिंग सेक्टर में भरोसा बहाल करने में इन परीक्षणों ने अहम भूमिका निभाई।
विवाद और आलोचना:
हालांकि हाल के वर्षों में इस प्रक्रिया की आलोचना बढ़ी है:
- पारदर्शिता की कमी:
- मॉडल और परिणामों में साल-दर-साल अस्थिरता रही है।
- विरोध:
- बैंकिंग समूह स्ट्रेस टेस्टिंग प्रक्रिया का विरोध नहीं कर रहे, बल्कि वे इसमें अधिक पारदर्शिता और पूर्वानुमान के मॉडल में सुधार की मांग कर रहे हैं।
मुकदमे में बैंकों की मांग
- पारदर्शिता में सुधार:
फेड द्वारा उपयोग किए जाने वाले मॉडल को सार्वजनिक रूप से स्पष्ट किया जाए। - स्थिरता सुनिश्चित करना:
पूंजी आवश्यकताओं और परीक्षण के परिणामों में साल-दर-साल बदलाव को कम किया जाए। - प्रक्रिया का मानकीकरण:
- बैंकों का कहना है कि वर्तमान मॉडल अस्पष्ट है और इसमें सुधार की जरूरत है।
- वे चाहते हैं कि प्रक्रिया स्पष्ट और पूर्वानुमान योग्य हो।
US Fed की प्रतिक्रिया और योजनाएं
फेड ने इस मामले पर सीधे प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन उसने 2025 तक अपनी नई योजना को लागू करने की प्रतिबद्धता जताई है।
प्रमुख कदम:
- बैंकों और जनता से प्रतिक्रिया लेकर प्रक्रिया में सुधार।
- अधिक पारदर्शिता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मॉडल में बदलाव।