लट्ठमार होली 2025: कब खेली जाएगी बरसाना की लट्ठमार होली? कैसे शुरू हुई परंपरा?

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हिंदू धर्म में होली के त्यौहार का विशेष महत्व है। यह त्यौहार हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। पंचाग के अनुसार इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च को किया जाएगा और होली यानि धुलेटी अगले दिन यानि 14 मार्च 2025 को खेली जाएगी। इस दिन लोग रंगों से होली खेलते हैं, एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और गले मिलते हैं।

 

होली का नाम सुनते ही मन में रंग, गुलाब, हंसी और मस्ती की तस्वीरें उभर आती हैं।

होली का नाम सुनते ही मन में रंग, गुलाब, हंसी और मस्ती की तस्वीरें उभर आती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि होली लाठियों से भी खेली जाती है? जी हां, मथुरा के बरसाना और नंदगांव में मनाई जाने वाली लट्ठमार होली अपनी अनूठी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। हर साल हजारों लोग देश-विदेश से इसे देखने आते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल लट्ठमार होली कब है और जानते हैं इसके बारे में कुछ रोचक बातें।

लट्ठमार होली कब है?

ब्रज में होली का उत्सव लगभग 40 दिनों तक चलता है, लेकिन लट्ठमार होली सबसे खास है। यह फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार लट्ठमार होली 8 मार्च 2025 को खेली जाएगी।

लट्ठमार होली क्यों खास है?

हर साल होली से पहले धुलंडी, मथुरा और बरसाना के गांवों में लट्ठमार होली मनाई जाती है। इसमें नंदगांव के पुरुष (हुरियारे) और बरसाना की महिलाएं (हुरियारिन) भाग लेती हैं। पुरुष ढाल लेकर आते हैं और महिलाएं लाठियों से हमला करती हैं। इस दौरान होली के विशेष ब्रज गीत गाए जाते हैं और चारों ओर रंग उड़ाए जाते हैं। इस खास अवसर पर भांग और ठंडई का भरपूर आनंद लिया जाता है। कीर्तन मंडलियां पूरे गांव में घूमती हैं और भगवान कृष्ण और राधा के भजन गाए जाते हैं।

लट्ठमार होली की शुरुआत कैसे हुई?

कहा जाता है कि इस होली की शुरुआत भगवान कृष्ण और रानी राधा के पवित्र रिश्ते से हुई थी। जब कान्हा अपने मित्रों के साथ बरसाना गांव जाते और राधा और उनकी सखियों को रंग लगाकर चिढ़ाते तो राधा और उनकी सखियां लाठियां लेकर उनका पीछा करतीं। तब से यह परंपरा चली आ रही है और आज यह एक भव्य उत्सव बन गया है। इसलिए कहा जाता है कि लट्ठमार होली की शुरुआत स्वयं भगवान कृष्ण और राधा रानी ने की थी।